• कश्मीर चुनाव : पहली बार भाजपा प्रमुख मुद्दा

    श्रीनगर/जम्मू ! जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए प्रथम चरण का मतदान मंगलवार को होगा और इसके लिए तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी है। इस बार के चुनाव में खास बात यह है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पहली बार एक प्रमुख कारक के रूप में उभरी है। चुनाव प्रचार में कई मुद्दे सुर्खियों में रहे। इनमें भ्रष्टाचार, सत्ता में परिवारवाद, आर्थिक सुधार के उपाय, राज्य में बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग और अनुच्छेद 370 शामिल रहे।...

    श्रीनगर/जम्मू !   जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए प्रथम चरण का मतदान मंगलवार को होगा और इसके लिए तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी है। इस बार के चुनाव में खास बात यह है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पहली बार एक प्रमुख कारक के रूप में उभरी है। चुनाव प्रचार में कई मुद्दे सुर्खियों में रहे। इनमें भ्रष्टाचार, सत्ता में परिवारवाद, आर्थिक सुधार के उपाय, राज्य में बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग और अनुच्छेद 370 शामिल रहे।87 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव में कुल 72 लाख लोग मतदान के पात्र हैं। पांच चरणों में होने वाला चुनाव 20 दिसंबर को संपन्न होगा। मतगणना 23 दिसंबर को होगी। 22 जिलों में फैले विधानसभा क्षेत्रों में राजनीतिक पार्टियां जम्मू एवं कश्मीर के मतदाताओं को लुभाने की हर संभव कोशिश कर रही हैं। सालों पुराने मित्र और गठबंधन साथी अब विरोधी बन गए हैं। कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस छह साल तक गठबंधन सरकार चलाने के बाद अलग हो चुकी है। आज, वे कश्मीर में हो रही गड़बड़ी का आरोप एक-दूसरे पर मढ़ रहे हैं। लोकसभा चुनाव की जीत से उत्साहित भाजपा कांग्रेस सहित नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के लिए बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। राज्य के इतिहास में पहली बार भाजपा राज्य में या तो सत्ता पाने या फिर किंगमेकर बनने को लेकर आश्वस्त है। जम्मू, लद्दाख और कश्मीर घाटी की विविधता के कारण इसकी प्राथमिकताएं अलग-अलग हैं।पिछड़े और दूरवर्ती इलाकों में रहने वाले मतदाताओं के लिए सड़क, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और रोजगार मुख्य मुद्दा है। इसमें लद्दाख के लेह और कारगिल जिला, घाटी में कुपवाड़ा के सीमावर्ती इलाके, बारामुला और बांदीपोरा, और जम्मू के पुंछ, राजौरी, डोडा और किश्तवाड़ शामिल हैं। शहरी क्षेत्रों जैसे श्रीनगर, जम्मू, सांबा, कठुआ, उधमपुर और अन्य जिलों में लोगों के लिए राजनीतिक मुद्दा जैसे अनुच्छेद 370, स्वायत्तता और स्वशासन महत्वपूर्ण हैं। भ्रष्टाचार भी इनके लिए बड़ा मुद्दा है। घाटी के अलगाववादी नेता 1990 के दशक से शुरू हुए आतंकवाद से चुनाव का बहिष्कार करते आ रहे हैं। घाटी में कानून-व्यवस्था में लगातार सुधार के कारण ग्रामीण इलाकों में मतदान पर अलगाववादी नेताओं के बहिष्कारों का न के बराबर असर पड़ा है।घाटी के शहरों और कस्बों में हालांकि मतदान पर इन आह्वानों का असर पड़ा है और मतदान में कमी देखी गई है। अधिकारियों ने खुफिया एजेंसियों के आगाह किए जाने के बाद मतदान केंद्रों को संवेदनशील, अतिसंवेदनशील और सामान्य श्रेणी का घोषित किया है। मतदान के दौरान केंद्रीय सुरक्षा बलों और पुलिस की मदद के लिए 50,000 अतिरिक्त अर्ध सैनिक बलों को भेजा गया है। राज्य में कुल 10,005 मतदान केंद्र बनाए गए हैं।

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