• अर्थव्यवस्था पर चर्चा सही, अब काम की बारी

    नई दिल्ली ! नरेंद्र मोदी ने छह महीने पहले जब प्रधानमंत्री का पद संभाला, लोगों में आर्थिक पुनर्विकास का विश्वास प्रबल हुआ था। मंगलवार को मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के छह महीने पूरे होने जा रहे हैं। इस अवसर पर आईएएनएस ने जिससे भी मोदी सरकार के प्रदर्शन पर बात की, उन सबकी कमोबेश एक ही राय थी : चर्चा सही, अब काम की बारी! उनके मुताबिक यह काम सोमवार को संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने के दिन से ही शुरू होना चाहिए, क्योंकि मोदी सरकार ने जो भी कदम उठाए हैं, उनको विधायी आधार देना जरूरी है ...

    नई दिल्ली !  नरेंद्र मोदी ने छह महीने पहले जब प्रधानमंत्री का पद संभाला, लोगों में आर्थिक पुनर्विकास का विश्वास प्रबल हुआ था। मंगलवार को मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के छह महीने पूरे होने जा रहे हैं। इस अवसर पर आईएएनएस ने जिससे भी मोदी सरकार के प्रदर्शन पर बात की, उन सबकी कमोबेश एक ही राय थी : चर्चा सही, अब काम की बारी!उनके मुताबिक यह काम सोमवार को संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने के दिन से ही शुरू होना चाहिए, क्योंकि मोदी सरकार ने जो भी कदम उठाए हैं, उनको विधायी आधार देना जरूरी है और यहीं पता चलेगा कि उनका काम कितना भरोसेमंद है।कारोबारी जगत को मुख्यत: वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी), बीमा एवं पेंशन क्षेत्र में सुधार की प्रक्रिया आगे बढ़ाने की मोदी सरकार से उम्मीद है।कारोबारियों ने कहा कि कारोबारी माहौल पहले से बेहतर हुआ है। यह भारत को रेटिंग घटाने की चेतावनी देने वाली एजेंसियों द्वारा भारत में विश्वास दिखाने और शेयर बाजार के दिन-प्रति-दिन नई-नई ऊंचाइयां छूने से पता चलता है।फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के अध्यक्ष सिद्धार्थ बिड़ला ने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के पास बेहतर आर्थिक नजरिया है और उसके पास फैसला लेने और उसे लागू करने की भी ताकत है।" यही राय एसोचैम और भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की भी थी।परिसंघ के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, "आक्रामक, तेज, लक्षित फैसला सरकार की गत छह महीने की प्रमुख खासियत है, जिसकी हम सराहना करते हैं। महंगाई और वित्तीय घाटे का दबाव भी घटा है।"तीनों उद्योग संघों ने यह भी कहा कि खुद मोदी द्वारा उठाए गए कुछ विशेष कदमों का भी वैश्विक असर पड़ा है। ये हैं मेक इन इंडिया, स्वच्छ भारत, जीरो-डिफेक्ट-जीरो-इफेक्ट विनिर्माण और डिजिटल भारत अभियान।26 मई को मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले सिर्फ उनके प्रधानमंत्री बनने की उम्मीद से ही शेयर बाजार काफी ऊंचाई पर पहुंच गया था। लेकिन बाजार उसके बाद भी निरंतर नई-नई ऊंचाइयां छूता जा रहा है।विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 26 मई के बाद से डेट और शेयर बाजार में 25 अरब डॉलर से अधिक की लिवाली कर ली है, जो इस साल के कुल 39 अरब डॉलर निवेश का 60 फीसदी है।केपीएमजी इंडिया के गिरीश वनवारी ने कहा, "प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगी द्वारा विभिन्न विदेश यात्राओं के जरिए अंतर्राष्ट्रीय संबंध मजबूत करने की कोशिश से देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बढ़ने का भी अनुमान है।"वनवारी ने आईएएनएस से कहा, "नई सरकार द्वारा किए गए कई सुधार कार्यो का तुरंत असर संभव है न हो। लेकिन यदि वह तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचता है, तो दो से तीन साल में अर्थव्यवस्था एक नए स्तर पर पहुंचेगी।"एसोचैम के महासचिव डी.एस. रावत ने कहा, "मेक इन इंडिया अभियान का अधिक फायदा नहीं होगा, यदि इसके लिए नीतिगत और प्रक्रियात्मक सुधार न किए जाएं।"रावत ने कहा, "इस सरकार से अधिकतर वादे पर खरा उतरने की उम्मीद है। इसमें महत्वपूर्ण भूमिका लोगों में बनी इस धारणा की होगी कि सरकार गंभीर है।"उन्होंने कहा, "इस सारकार के साथ सबसे अच्छी बात यह भी है कि लोकसभा में इसे पूर्ण बहुमत है और इस पर गठबंधन बनाए रखने का दबाव भी नहीं है।"

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