• संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार से

    नई दिल्ली ! संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है। विधानसभा चुनावों में जीत से उत्साहित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार बीमा क्षेत्र से लेकर प्रमुख आर्थिक विधेयकों के पारित कराने को लेकर आश्वस्त है। दूसरी तरफ, विपक्ष ने भाजपा की कथनी-करनी में अंतर को उजागर करने की बात कही है। इसके साथ ही उसने कांग्रेस नीत सरकार द्वारा पारित किए गए विधेयकों को कमजोर करने अथवा उसका विलय करने का विरोध करने का निश्चय किया है। ...

    22 बैठकें होंगी और यह 23 दिसंबर तक चलेगानई दिल्ली ! संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है। विधानसभा चुनावों में जीत से उत्साहित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार बीमा क्षेत्र से लेकर प्रमुख आर्थिक विधेयकों के पारित कराने को लेकर आश्वस्त है। दूसरी तरफ, विपक्ष ने भाजपा की कथनी-करनी में अंतर को उजागर करने की बात कही है। इसके साथ ही उसने कांग्रेस नीत सरकार द्वारा पारित किए गए विधेयकों को कमजोर करने अथवा उसका विलय करने का विरोध करने का निश्चय किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार जहां छह माह पूरे करने जा रही है वहीं महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव में मिली जीत से उसका मनोबल ऊंचा है।मंत्रिमंडल विस्तार के बाद पहली बार संसद का सत्र होने जा रहा है जिसमें 22 बैठकें होंगी और यह 23 दिसंबर तक चलेगा। संसद सत्र के दौरान ही झारखंड और जम्मू एवं कश्मीर में विधानसभा चुनाव होंगे। भाजपा दोनों राज्यों में बेहतर प्रदर्शन को लेकर आश्वस्त है। जम्मू एवं कश्मीर में अगर उसे जीत नहीं मिली तो उसको भरोसा है कि वह 'किंगमेकर' की भूमिका में जरूर आएगी। इस सत्र में समाजवादियों का एक नया समूह भी विपक्ष के रूप में दिखेगा। पिछले दिनों समाजवादी पार्टी, जनता दल (युनाइटेड), राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल(सेक्युलर) ने एक बैठक में हाथ मिलाने का फैसला किया था। जनता दल (युनाइटेड) के के.सी.त्यागी ने आईएएनएस से कहा, "इन दलों के बीच एक समन्वय दिखेगा।"उन्होंने कहा कि सरकार अगर बीमा संशोधन विधेयक पारित कराने की कोशिश करेगी तो राज्यसभा में बहुमत नहीं होने की वजह से उसे कठिन हालातों का सामना करना पड़ेगा।विधेयक में बीमा क्षेत्र में वर्तमान 26 फीसदी की जगह प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 49 प्रतिशत करने की बात कही गई है।राज्य सरकारों ने वस्तु एवं सेवा कर को लेकर चिंता जताई है। मनरेगा और भूमि अधिग्रहण विधेयक को भी कमजोर करने की सरकार की कोशिश को लेकर आपत्तियां हैं। कांग्रेस महासचिव शकील अहमद ने कहा कि उनकी पार्टी बीमा और जीएसटी विधेयक पर भाजपा की कथनी-करनी को उजागर करेगी। कांग्रेस इसके साथ ही काला धन का मुद्दा भी उठाएगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जो कदम लोगों के हित के लिए उठाए जाएंगे उसका वे समर्थन करेंगे। केंद्रीय संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि सरकार विपक्ष के साथ मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है। हम विपक्षी पार्टियों के साथ समन्वय के साथ आगे बढ़ेंगे। संसद के कामकाज का लेखा-जोखा रखने वाली एक शोध संस्था, पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च के मुताबिक सदन में फिलहाल 67 विधेयक लंबित हैं। पीआरएस लेजिसलेटिव की श्रेया सिंह ने कहा कि 15वीं लोकसभा के अंत में कई विधेयक समाप्त हो गए।

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