• कंपनी कानून में संशोधन करेगी सरकार

    कंपनी मामलों के मंत्रालय ने मंत्रिमंडल से मंजूरी के लिए एक नोट तैयार किया है। यह नोट संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार द्वारा पारित कंपनी कानून में संशोधन के लिए है। कानून एक अप्रैल, 2013 से प्रभावी हो गया है और मंत्रालय ने इस पर विभिन्न पक्षों से विशद चर्चा की है।...

    नई दिल्ली | कंपनी मामलों के मंत्रालय ने मंत्रिमंडल से मंजूरी के लिए एक नोट तैयार किया है। यह नोट संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार द्वारा पारित कंपनी कानून में संशोधन के लिए है। कानून एक अप्रैल, 2013 से प्रभावी हो गया है और मंत्रालय ने इस पर विभिन्न पक्षों से विशद चर्चा की है।एक आधिकारिक सूत्र ने यहां कहा कि सरकार नए कानून के कुछ प्रावधानों में संशोधन करना चाहती है। इनमें से एक प्रावधान संबंधित पक्षों के बीच लेन-देन का भी है। संबंधित पक्षों के बीच का लेन-देन दो कंपनियों के बीच उस लेन-देन को माना गया है, जिसके तहत एक कंपनी के किसी बोर्ड सदस्य की रुचि दूसरी कंपनी में होती है। शेयरधारकों को आशंका है कि इस बारे में सख्त नियमों से दैनिक कारोबारी गतिविधि प्रभावित हो सकती है। नए कंपनी कानून में इस तरह के ऐसे लेन-देन को शेयरधारकों की मंजूरी से छूट दी गई है, जिसमें सौदा 100 करोड़ रुपये या कंपनी के कुल मूल्य के 10 फीसदी से कम का हो। पुराने कानून में 10 करोड़ रुपये या उससे अधिक शेयर पूंजी वाली कंपनियों के लिए ऐसे लेन-देन में शेयरधारकों की मंजूरी जरूरी थी।नए कानून में शेयर पूंजी वाली शर्त को हटा दिया गया है, लेकिन शेयरधारकों की मंजूरी के लिए लेन-देन की विभिन्न सीमाएं तय की गई हैं। नए कानून में एक प्रावधान यह भी है कि यदि कंपनी का सांविधि ऑडीटर पाता है कि कंपनी के किसी अधिकारी या कर्मचारी ने कंपनी में कोई घपला किया है या कर रहा है, तो वह 60 दिनों के भीतर सरकार को इसकी सूचना देगा। सूत्र के मुताबिक इस प्रावधान पर भी कुछ बहस जारी है। साथ ही मंत्रालय के नोट में बोर्ड के फैसलों की गोपनीयता के लिए कुछ संशोधन को भी शामिल किया गया है। वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमन ने पहले कहा था कि नए कंपनी कानून से कुछ समस्याएं पैदा हो रही हैं और सरकार जरूरी बदलाव करने के लिए उद्योग जगत से बात कर रही है।


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