• सीबीआई निदेशक का रहा है विवादों से पुराना नाता

    नई दिल्ली ! टू-जी स्पेक्ट्रम आबंटन घोटाला मामले की जांच से हटाए गए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक रंजीत सिन्हा की मुश्किलें आने वाले दिनों में और बढ़ सकती हैं। अगले माह सेवानिवृत्त होने वाले सिन्हा के खिलाफ सरकार ने जांच की तैयारी शुरू कर दी है। टूजी घोटाले की जांच में उनकी भूमिका की जांच के लिए एक समिति का गठन करने को लेकर पीएमओ से हरीझंडी मिलने का इंतजार किया जा रहा है। जिसके बाद सिन्हा को कारण बताओ नोटिस दिया जा सकता है। ...

    रंजीत सिन्हा के खिलाफ सरकार ने शुरू की जांच की तैयारीनई दिल्ली !  टू-जी स्पेक्ट्रम आबंटन घोटाला मामले की जांच से हटाए गए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक रंजीत सिन्हा की मुश्किलें आने वाले दिनों में और बढ़ सकती हैं। अगले माह सेवानिवृत्त होने वाले सिन्हा के खिलाफ सरकार ने जांच की तैयारी शुरू कर दी है। टूजी घोटाले की जांच में उनकी भूमिका की जांच के लिए एक समिति का गठन करने को लेकर पीएमओ से हरीझंडी मिलने का इंतजार किया जा रहा है। जिसके बाद सिन्हा को कारण बताओ नोटिस दिया जा सकता है। अगर सरकार ने सेवानिवृत्ति से पहले उनके खिलाफ आरोप पत्र जारी कर दिया तो सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाली सुविधाएं भी लंबित हो सकती हैं। सीबीआई के 74 साल के इतिहास में उसके किसी भी निदेशक पर ऐसा कलंक नहीं लगा है जितना रंजीत सिन्हा के निदेशक रहते लगा। पहला मौका है जब किसी निदेशक की भूमिका को संदिग्ध मानकर सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें जांच से अलग कर दिया।  यह भी पहला ही मौका है जब सीबीआई जैसी सर्वोच्च जांच एजेंसी ने अदालत में अपने ही बॉस के कथन के खिलाफ  हलफ नामा दायर किया।1974 बैच के बिहार कैडर के आईपीएस सिन्हा ने नवंबर 2012 में सीबीआई निदेशक पद की जिम्मेदारी संभाली थी लेकिन सिन्हा अपने 36 वर्ष के लंबे करियर में हमेशा विवादों से घिरे रहे। 2010 में जब वे आरपीएफ के महानिदेशक थे तब रेलवे घूस कांड काफ ी चर्चा में आया। सीबीआई ने रेल घूस कांड में आरपीएफ के आला अधिकारियों को रंगे हाथों पकड़ा था। ऑल इंडिया आरपीएफ  एसोसिएशन के महासचिव उमाशंकर झा ने आरोप लगाया था कि घूसखोरी के आरोपों में ही यहां से उन्हें हटाया गया था। झा के मुताबिक, उन्होंने 28 अप्रैल 2010 को रेलमंत्री ममता बनर्जी से तत्कालीन आरपीएफ  डीजी रंजीत सिन्हा व आइजी बीएस सिद्धू के भ्रष्टाचार की शिकायत भी की थी। ममता ने रेलवे बोर्ड में कार्यकारी निदेशक (सिक्युरिटी) नजरुल इस्लाम से जांच कराई थी। आरपीएफ  एसोसिएशन ने 20 जनवरी 2011 को रंजीत सिन्हा के खिलाफ  प्रमाण के साथ 10 पेज की एक और शिकायत रेलमंत्री को भेजी थी जो सही पाई गई और अंतत: सिन्हा को 19 मई 2011 को आरपीएफ  से हटाकर कंपल्सरी वेटिंग में गृह मंत्रालय भेज दिया गया था। पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव सिन्हा को अपनी नजदीकी के चलते रेलवे सुरक्षा बल में लेकर आए थे। रंजीत सिन्हा अपने करियर के शुरुआत से ही सत्ता के नजदीक बने रहने का हुनर जानते हैं। उन्होंने बतौर आईपीएस  बिहार के कुछ जिलों में बतौर एसपी भी काम किया है। बहुचर्चित चारा घोटाले की जांच के मामले में भी रंजीत सिन्हा की भूमिका की शिकायतें मिलती रहीं थी। रंजीत सिन्हा की निष्पक्षता और ईमानदारी पर सवाल खड़े होते रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ  कई बार विवादित बयानों के कारण उन पर उंगलियां भी उठती रही हैं। 

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