• भारतवंशी छात्रा को महंगा पड़ा मेहंदी लगाना

    पोर्ट ऑफ स्पेन ! रिनिदाद एवं टोबैगो में एक भारतवंशी छात्रा को कक्षा में इसलिए घुसने नहीं दिया गया, क्योंकि उसने हाथों में मेहंदी लगा रखी थी। उसके हाथों से मेहंदी का रंग छूटने तक उसे स्कूल आने की अनुमति नहीं है। उसे स्कूल आने की अनुमति का अभी तक इंतजार है। कैरिबियाई देश के शिक्षा मंत्री टीम गोपीसिह ने एक साक्षात्कार में कहा है कि उनका मंत्रालय शिक्षा अधिनियम के तहत इस मुद्दे पर नियमों को देख रहा है। ...

    पोर्ट ऑफ स्पेन !   रिनिदाद एवं टोबैगो में एक भारतवंशी छात्रा को कक्षा में इसलिए घुसने नहीं दिया गया, क्योंकि उसने हाथों में मेहंदी लगा रखी थी। उसके हाथों से मेहंदी का रंग छूटने तक उसे स्कूल आने की अनुमति नहीं है। उसे स्कूल आने की अनुमति का अभी तक इंतजार है। कैरिबियाई देश के शिक्षा मंत्री टीम गोपीसिह ने एक साक्षात्कार में कहा है कि उनका मंत्रालय शिक्षा अधिनियम के तहत इस मुद्दे पर नियमों को देख रहा है। भारतवंशी मंत्री ने आईएएनएस से कहा, "मुख्य शिक्षा अधिकारी आगामी कुछ दिनों में मुझे एक रपट सौपेंगे, जिसके बाद मैं कोई बयान दूंगा।"दरअसल, सैन फर्नाडो के लॉर्ड स्ट्रीट स्थित सेंट गैबरियल्स रोमन कैथलिक प्राइमरी स्कूल की सात वर्षीय छात्रा चेल्सिया बालगोबिन को इसलिए कक्षा में नहीं घुसने दिया गया था, क्योंकि उसने अपने दोनों हाथों पर मेहंदी लगा रखी थी। दिवाली के मौके पर उसने घर में मेहंदी लगवाई थी।उसकी मां सैंडी महादेव इस बात को लेकर चिंतित हैं कि क्या उसे कक्षा में घुसने दिया जाएगा, क्योंकि उसके हाथों से मेहंदी का रंग अभी तक नहीं छूटा है।रोमन कैथलिक चर्च की क्रिश्चियन परेरा ने कहा कि अनुशासन तथा यूनिफॉर्म के मामले में स्कूल के प्राचार्य वही करेंगे, जो स्कूल के हित में होगा।उन्होंने कहा, "मेरा यह सोचना है कि बच्चे के माता-पिता का कर्तव्य बनता है कि वे वही सोचें जो अनुशासन के मामले में बच्चे के लिए ठीक हो।"महादेव ने शिकायत की थी कि संस्कृति के कारण उनकी बच्ची को कक्षा में घुसने से नहीं रोका जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "ऐसा नहीं होना चाहिए, क्योंकि यह बहुसांस्कृतिक समाज हैऔर लोगों की संस्कृति का आदर किया जाना चाहिए। जब वे प्रार्थना करते हैं, तो बच्चे के हाथों में बांधी गई राखी को हाथ से उतरवा देते हैं।"उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात का पता नहीं था कि मेहंदी नियमों के खिलाफ है। वे इस बात को लेकर चिंतित हैं कि आगे भी इसी तरह की कोई घटना हो सकती है, इसलिए वे अपनी बच्ची का दूसरे स्कूल में स्थानांतरण मांग रही थीं।इसी बीच, कैथलिक शिक्षा बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी शेरोन मंगरू ने कहा, "यह भेदभाव का मामला नहीं है।"

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