• बीजिंग तक मार करने वाले अग्नि-5 का परीक्षण करेगा भारत

    नई दिल्ली ! भारत ने पूरी तरह स्वदेश निर्मित लंबी दूरी तक मार करने वाले अग्नि-5 प्रक्षेपास्त्र के परीक्षण के लिए कमर कस ली है। यह एक टन तक परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है और बीजिंग की दूरी तक वाले शहर इसकी जद में हैं। इससे पहले 5,000 किलोमीटर तक मार करने वाले अग्नि-5 अंतर महाद्वीपीय बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र (आईसीबीएम) का प्रायोगिक हथियार वहन प्रणाली के साथ खुले लांचर से प्रक्षेपण किया गया था। 50 टन वजन वाले इस प्रक्षेपास्त्र को विकसित करने वाले रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के एक अधिकारी ने कहा, परीक्षण नवंबर के अंत या शुरुआती दिसंबर में होगा। इस परीक्षण के साथ ही भारतीय प्रक्षेपास्त्र वैज्ञानिकों के सिर पर एक और ताज सज जाएगा। अग्नि-5 प्रक्षेपास्त्र अग्नि श्रेणी का सबसे उन्नत संस्करण है और यह 1960 में शुरू किए गए इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम का हिस्सा है। इससे पहले, डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने पानी के अंदर के-15 प्रक्षेपास्त्र का सफल परीक्षण किया है, जिससे नौसेना को लैस किया गया है।...

    नई दिल्ली !   भारत ने पूरी तरह स्वदेश निर्मित लंबी दूरी तक मार करने वाले अग्नि-5 प्रक्षेपास्त्र के परीक्षण के लिए कमर कस ली है। यह एक टन तक परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है और बीजिंग की दूरी तक वाले शहर इसकी जद में हैं।  इससे पहले 5,000 किलोमीटर तक मार करने वाले अग्नि-5 अंतर महाद्वीपीय बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र (आईसीबीएम) का प्रायोगिक हथियार वहन प्रणाली के साथ खुले लांचर से प्रक्षेपण किया गया था। 50 टन वजन वाले इस प्रक्षेपास्त्र को विकसित करने वाले रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के एक अधिकारी ने कहा, परीक्षण नवंबर के अंत या शुरुआती दिसंबर में होगा। इस परीक्षण के साथ ही भारतीय प्रक्षेपास्त्र वैज्ञानिकों के सिर पर एक और ताज सज जाएगा। अग्नि-5 प्रक्षेपास्त्र अग्नि श्रेणी का सबसे उन्नत संस्करण है और यह 1960 में शुरू किए गए इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम का हिस्सा है। इससे पहले, डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने पानी के अंदर के-15 प्रक्षेपास्त्र का सफल परीक्षण किया है, जिससे नौसेना को लैस किया गया है।धातु के सिलेंडर का होगा प्रयोगप्रक्षेपास्त्र के परीक्षण में इस बार इसे धातु के एक सिलिंडर का उपयोग किया जाएगा। धातु का यह सिलिंडर विशेष प्रकार के इस्पात से निर्मित है, जो प्रक्षेपण के समय विस्फोट को अवशोषित कर लेता है। चूंकि प्रक्षेपास्त्र सिलिंडर में बंद रहता है, इसलिए बाहर के वातावरण पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता। इससे प्रक्षेपास्त्र सुरक्षित रहता है और कई तरह की जांच की जरूरत नहीं पड़ती, जिससे प्रक्षेपास्त्र को लांच करने में काफी समय लगता है।पहले दो बार हो चुका है परीक्षणअग्नि-5 प्रक्षेपास्त्र के दो प्रायोगिक परीक्षण सफल रहे हैं। डीआरडीओ इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि इस बार धातु के सिलिंडर से परीक्षण भी सफल रहेगा। प्रक्षेपण के दौरान सिलिंडर के अंदर मौजूद एक गैस जेनरेटर प्रक्षेपास्त्र को 30 मीटर ऊपर तक धक्का देगा। इसके बाद एक मोटर की सहायता से प्रक्षेपास्त्र को छोड़ा जाएगा। इस प्रक्षेपास्त्र को कहीं से भी लांच किया जा सकता है।

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