कोलकाता | पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले में दो राजनीतिक पार्टियों के बीच हुई हिंसक झड़प में तीन लोगों के मारे जाने की घटना के बाद गुरुवार को दौरे के लिए पहुंची भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की केंद्रीय टीम को प्रशासन ने हिरासत में लेकर हिंसा प्रभावित मखरा गांव से दूर भेज दिया है। प्रशासन ने सोमवार को हुई वारदात के बाद यहां निषेधाज्ञा लागू कर दी है, बावजूद इसके भाजपा उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी के नेतृत्व में केंद्रीय टीम गुरुवार को बीरभूम पहुंची थी।भाजपा का दावा है कि पश्चिम बंगाल अराजक तत्वों और आतंकवादियों का गढ़ बन चुका है और राज्य के हालात चिंताजनक हो चुके हैं। नकवी ने कहा, "पुलिस का व्यवहार अलोकतांत्रिक और अराजक तत्वों व आतंकवादियों के बचाव के पक्ष में ज्यादा है, जिन्होंने पश्चिम बंगाल को अपना गढ़ बना रखा है। बेहतर होता कि तृणमूल कांग्रेस हमें गिरफ्तार करवाने के बजाय अपनी ताकत और सत्ता का इस्तेमाल देश द्रोहियों के खिलाफ करती।" हिंसा प्रभावित मखरा गांव के लोगों की दयनीय स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए नकवी ने कहा कि केंद्रीय टीम अपनी रिपोर्ट में पश्चिम बंगाल के चिंताजनक हालात का मुद्दा केंद्र सरकार के समक्ष रखेगी। उन्होंने कहा, "हम अपनी रिपोर्ट में केंद्र सरकार के सामने यह बात रखेंगे कि पश्चिम बंगाल सरकार लोगों के बदतर और दयनीय होते हालात पर ध्यान देने से ज्यादा राज्य में विपक्ष को प्रवेश करने से रोकने को लेकर ज्यादा चिंतित है।" नकवी के नेतृत्व में गुरुवार को वीरभूम पहुंचे भाजपा सदस्यों को पुलिस वैन में बैठाकर घटनास्थल से दूर ले जाया गया, जिनमें कीर्ति आजाद, उदित राज, राज्य इकाई के अध्यक्ष राहुल सिन्हा और कई नेता, कार्यकर्ता शामिल हैं। गांव के अंदर प्रवेश करने की कोशिश में भाजपा सदस्यों और पुलिस के बीच हाथापाई और धक्कामुक्की भी हुई। सिन्हा और आजाद ने दावा किया, "विपक्ष को रोकने की तृणमूल की कोशिश इस बात की ओर इशारा करती है कि काफी कुछ है, जो वे छुपाना चाहते हैं।" राज्य प्रशासन ने बुधवार को भाजपा, कांग्रेस और वाम मोर्चे द्वारा इलाके का दौरा करने पर प्रतिबंध लगा दिया था।