• नलिनी की रिहाई की याचिका खारिज

    नई दिल्ली ! सर्वोच्च न्यायालय ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा भुगत रही एस. नलिनी श्रीकरन की एक याचिका सोमवार को खारिज कर दी। याचिका में कानून के उस प्रावधान को चुनौती दी थी, जिसके तहत उस दोषी की सजा घटाने के लिए राज्य सरकार को केंद्र सरकार से अनुमति लेनी होती है, जिसके मामले की जांच सीबीआई ने की हो।...

    नई दिल्ली !  सर्वोच्च न्यायालय ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा भुगत रही एस. नलिनी श्रीकरन की एक याचिका सोमवार को खारिज कर दी। याचिका में कानून के उस प्रावधान को चुनौती दी थी, जिसके तहत उस दोषी की सजा घटाने के लिए राज्य सरकार को केंद्र सरकार से अनुमति लेनी होती है, जिसके मामले की जांच सीबीआई ने की हो।प्रधान न्यायाधीश एच.एल. दत्तू, न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर और न्यायमूर्ति ए.के. सीकरी की पीठ ने नलिनी की याचिका खारिज करते हुए कहा, "क्षमा करें, हमें इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है।"नलिनी ने अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 435(1) को चुनौती दी थी, जिसमें यह प्रावधान है कि यदि किसी अपराध की जांच सीबीआई ने की है और उसमें कोई व्यक्ति अदालत द्वारा दोषी ठहराया गया है, तो राज्य सरकार केंद्र सरकार की सहमति के बगैर दोषी की सजा माफ नहीं कर सकती।नलिनी के वकील एम. राधाकृष्णन ने न्यायालय से कहा कि कोई जांच एजेंसी, आजीवन कारावास की सजा काट रहे किसी दोषी की सजा माफ करने के राज्य सरकार के अधिकार के रास्ते में कैसे रोड़ा बन सकती है, वह भी ऐसे दोषी के मामले में जो पहले ही 14 वर्ष की सजा काट चुकी है।राजीव गांधी की हत्या के मामले में नलिनी आजीवन कारावास की सजा भुगत रही है। तमिलनाडु के राज्यपाल ने 24 अप्रैल, 2000 को उसके मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदल दिया था।वह पिछले 23 वर्षो से जेल में है। निचली अदालत ने उसे 28 जनवरी, 1998 को मृत्युदंड सुनाया था।राधाकृष्णन ने कहा कि 14 वर्ष सजा काटने के बाद वह रिहा होने की हकदार है।सर्वोच्च न्यायालय के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश आर.एम. लोढ़ा, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति रोहिंटन नरीमन ने 25 जुलाई को नलिनी की याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था।नलिनी ने सर्वोच्च न्यायलय में यह याचिका तब दायर की, जब केंद्र सरकार ने तमिलनाडु सरकार के उस फैसले पर रोक लगा दी थी, जिसमें उसने राजीव हत्याकांड के सात दोषियों की सजा माफ करने का निर्णय लिया था। तमिलनाडु सरकार ने यह निर्णय तब लिया था, जब सर्वोच्च न्यायालय ने 18 फरवरी, 2014 को मामले के तीन साजिशकर्ताओं के मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदल दिया था।सर्वोच्च न्यायालय ने वी. श्रीहरन उर्फ मुरुगन, ए.जी. परारीवलन उर्फ अरिवु और टी. सुथेंद्रराजा उर्फ सनथन के मृत्युदंड को इस आधार पर आजीवन कारावास में बदल दिया था कि तीनों की दया याचिकाओं पर विचार करने में 11 वर्ष लगा दिए गए, जिनका उनपर अमानवीय असर हुआ।इसके एक दिन बाद ही राज्य सरकार ने सभी सातों दोषियों की सजा माफ करने का निर्णय लिया और केंद्र को इस पर विचार करने के लिए तीन दिनों का समय दिया था।केंद्र सरकार ने तमिलनाडु सरकार के इस फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की और न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ ने मामले को संविधान पीठ के समक्ष भेज दिया था।

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