• बाढ़ के दर्द को लेकर वोट डालेंगे कश्मीरी

    श्रीनगर ! जम्मू-कश्मीर में पांच चरणों के चुनावों की घोषणा का राज्य में स्वागत करने वालों के स्वर ज्यादा हैं पर इसके विरोध में भी स्वर मुखर होने लगे हैं। फिलहाल इसका सबसे अधिक विरोध करने वालों में सत्ताधारी नेशनल कांफ्रेंस है। जिसे देर रात आम आदमी पार्टी अर्थात आप का भी समर्थन प्राप्त हो गया था। हालांकि प्रदेश सरकार में सत्ता की भागीदार कांग्रेस ने अभी तक न ही चुनावी घोषणा का स्वागत किया है और न ही विरोध। राज्य में ऐसे समय में विधानसभा चुनावों की घोषणा हुई है जबकि कश्मीरी लोग हाल ही में आई सदी की भीषण बाढ़ के सदमे से उबर नहीं पाए थे।...

    जम्मू-कश्मीर विस चुनाव के विरोध में कई राजनीतिक दलश्रीनगर !  जम्मू-कश्मीर में पांच चरणों के चुनावों की घोषणा का राज्य में स्वागत करने वालों के स्वर ज्यादा हैं पर इसके विरोध में भी स्वर मुखर होने लगे हैं। फिलहाल इसका सबसे अधिक विरोध करने वालों में सत्ताधारी नेशनल कांफ्रेंस है। जिसे देर रात आम आदमी पार्टी अर्थात आप का भी समर्थन प्राप्त हो गया था। हालांकि प्रदेश सरकार में सत्ता की भागीदार कांग्रेस ने अभी तक न ही चुनावी घोषणा का स्वागत किया है और न ही विरोध। राज्य में ऐसे समय में विधानसभा चुनावों की घोषणा हुई है जबकि कश्मीरी लोग हाल ही में आई सदी की भीषण बाढ़ के सदमे से उबर नहीं पाए थे। सत्ताधारी नेकां के अध्यक्ष डा. फारूक अब्दुल्ला और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला राज्य से ही नहीं बल्कि देश से अभी बाहर हैं पर चुनाव करवाए जाने की घोषण का विरोध करते हुए नेकां के महासचिव अली मुहम्मद सगर ने कहा है कि राज्य में यह समय चुनाव करवाने का नहीं है बल्कि बाढ़ से तबाह हुए कश्मीर को आबाद करने का है। हालांकि उन्होंने पहले अपने वक्तव्य में कहा था कि शायद नेकां इस बार चुनावों में हिस्सा नहीं लेगी लेकिन बाद में जारी दूसरे वक्तव्य में उन्होंने कहा कि इसका फैसला मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के लंदन से वापस लौटने पर ही होगा। जानकारी के लिए नेकां के अध्यक्ष डा. फारूक अब्दुल्ला ऑपरेशन के लिए इस समय लंदन में हैं और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी दो दिन पहले लंदन जा चुके हैं। ऐसे में सच्चाई यह है कि नेकां में फैसला लेने वाला कोई नहीं है क्योंकि अब्दुल्ला परिवार के बिना नेकां में पत्ता भी नहीं हिलता है। नेकां नेता सागर का कहना था कि अन्य राजनीतिक दल सत्ता के भूखे हैं जिन्हें कश्मीरियों का न तो दर्द दिखाई दे रहा है और न ही महसूस हो रहा है। उनके निशाने पर पीडीपी और भाजपा के नेता थे। याद रहे कि भाजपा और पीडीपी समय पर चुनाव करवाने की मांग करते रहे हैं और यह भी चर्चाएं हैं कि राज्य में अगली सरकार के लिए पीडीपी और भाजपा अंदरखाने गठजोड़ करने से परहेज नहीं कर सकते। इतना जरूर था कि देर रात नेकां के विरोध के स्वर को आम आदमी पार्टी अर्थात आप के नेता डा. राजा मुज्जफ्फर भट ने चुनावों की तारीखों का विरोध करते हुए कहा कि बेहतर होता मई 2015 में राज्य में राज्यपाल शासन के तहत चुनाव करवाए जाते। भट का कहना था कि कश्मीरी अभी तक बाढ़ के सदमें में हैं और उनका मूड चुनावों में हिस्सा लेने का नहीं है। 

अपनी राय दें