आखिर मैं क्या करूं कि टीम में मेरा स्थान पक्का नहीं हो सकामोहाली ! भारत की 2011 में विश्व कप जीतने वाली टीम का हिस्सा रहे लेग स्पिनर पीयूष चावला को हैरानी है कि अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट की शुरूआत करने के सात साल के बाद भी राष्ट्रीय टीम में उनका स्थान पक्का नहीं हो सका है । उत्तर क्षेत्र के खिलाफ बुधवार से शुरू हो रहे दलीप ट्राफी सेमीफाइनल में मध्य क्षेत्र की कमान संभाल रहे चावला अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी को लेकर प्रयासरत हैं 1उन्होंने कहा .. मुझे जो भी मौका मिला उसमें मैंने बढि़या प्रर्दशन किया लेकिन मुझे यह समझ में नहीं आता कि मुझे मौका क्यों नहीं मिल रहा 1 विश्व कप में मैंने अच्छा प्रर्दशन किया लेकिन उसके बाद मुझे टीम से बाहर कर दिया गया 1 उसके बाद इंग्लैंड के खिलाफ बिल्कुल सपाट विकेट पर खेलते हुए मैंने चार विकेट लिए लेकिन उसके बाद भी मुझे टीम में जगह नहीं मिली।.. चावला ने आखिरी वनडे तीन साल पहले वर्ष 2011 के विश्वकप में खेला था। वर्ष 2012 के बाद से उन्होंने टेस्ट मैच और ट्वंटी.20. मैच भी नहीं खेला है । इसके बावजूद वह कभी चयनर्कताों के पास नहीं गए।चावला ने कहा.. मैं उस तरह का नहीं हूं 1 मुझे बस यह पता है कि मुझे अच्छा प्रर्दशन करना है । अगर मैं लगातार अच्छा प्रर्दशन कर पाया तो मुझे उसका फल भी मिलेगा अब मैं यही करूंगा और उम्मीद करूंगा कि आने वाले सत्र में चीजें बेहतर हो जाएं 1.. उन्हें इस सत्र में वेस्टइंडीज और श्रीलंका के खिलाफ वनडे सीरीज के लिए भी टीम में शामिल नहीं किया गया 1 चावला ने कहा .. वर्तमान में अच्छा प्रर्दशन करना ही सबसे बेहतर है । अभी मेरा पूरा ध्यान दलीप ट्राफी में बेहतर प्रर्दशन करने और बतौर कप्तान मध्य क्षेत्र के खिलाडि़यों से बेहतरीन प्रर्दशन करवा पाने पर लगा है ।.. घरेलू क्रिकेट में गेंद से ज्यादा अच्छा प्रर्दशन बल्ले से करने के कारण चावला की कयी बार आलोचना भी हुयी है । वर्ष 2012..13 के रणजी ट्राफी टूर्नामेंट में उन्होंने पांच मैचों में 58.50 के औसत से दस विकेट झटके जबकि सात पारियों में 56.66 के औसत से 340 रन बनाए 1 वहीं पिछले सत्र में उन्होंने 49.87 के औसत से 16 विकेट लिए जबकि बल्लेबाजी में उन्होंने एक शतक के साथ कुल 275 रन बनाए 1 इन आलोचनाों पर जवाब देते हुए चावला कहते हैं.. सबसे पहले तो यह अच्छी बात है कि मैं बल्ले और गेंद दोनों से अच्छा प्रर्दशन कर रहा हूं 1 इसके बाद घरेलू क्रिकेट में पिच स्पिनरों के उपयुक्त नहीं होती है । यहां तेज गेंदबाजों को ही सबसे अधिक विकेट मिले हैं 1 इसलिए स्पिनरों के प्रर्दशन पर ऊंगली उठाने से पहले इन सब पर भी नजर डालनी चाहिए।