• भाजपा खेमे में खुशी, कांग्रेस मुख्यालय पर सन्नाटा

    नई दिल्ली ! महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों में जबरदस्त जीत हासिल करने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के यहां अशोक रोड स्थित मुख्यालय में पार्टी कार्यकर्ताओं ने जमकर जश्न मनाया और दिवाली से पहले ही जमकर आतिशबाजी चलाईं, जबकि दूसरी तरफ कांग्रेस के 24 अकबर रोड स्थित मुख्यालय में सन्नाटा पसरा हुआ था।...

    नई दिल्ली !  महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों में जबरदस्त जीत हासिल करने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के यहां अशोक रोड स्थित मुख्यालय में पार्टी कार्यकर्ताओं ने जमकर जश्न मनाया और दिवाली से पहले ही जमकर आतिशबाजी चलाईं, जबकि दूसरी तरफ कांग्रेस के 24 अकबर रोड स्थित मुख्यालय में सन्नाटा पसरा हुआ था। पार्टी कार्यकर्ता सुबह से ही अशोक रोड स्थित पार्टी मुख्यालय में इकट्ठा होना शुरू हो गए थे और और दिन चढ़ते-चढ़ते वहां भीड़ बढ़ती जा रही थी। रूझानों में महाराष्ट्र और हरियाणा में पार्टी को सबसे ज्यादा सीटें दिखाए जाने के बाद ही कार्यकर्ताओं ने नाचना और गाना शुरू कर दिया था। उन्होंने एक दूसरे को मिठाई भी खिलाई। इसके विपरित कांग्रेस के 24 अकबर रोड स्थित मुख्यालय पर सन्नाटा पसरा हुआ था। हरियाणा में पिछले दस वर्ष और महाराष्ट्र में पिछले 15 वर्ष से सत्ता में रही कांग्रेस को इन दोनों राज्यों में जबरदस्त झटका लगा है। कांग्रेस को चुनाव परिणाम आने से पहले ही दोनों राज्यों में हार की आशंका थी, इसी कारण पार्टी मुख्यालय में सुबह से ही बड़े नेताओं व पार्टी कार्यकर्ताओं की चहल-पहल कम देखी गई।कांग्रेस मुक्तभारत की दिशा में आगे बढ़ी भाजपा : शाहभाजपा ने हरियाणा और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव में अपनी जीत को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सुनामी बताते हुए कहा, दोनों राज्यों में हमारी सरकार बनेगी और हम देश को कांग्रेस मुक्त बनाने के अभियान की दिशा में दो कदम आगे बढ़े हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा, इन नतीजों ने मोदी सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों पर जनता की मुहर लगा दी है। इस विजय को जनता और कार्यकर्ताओं की जीत बताते हुये श्री शाह ने कहा, देश ने लोकसभा चुनाव में श्री मोदी को प्रधानमंत्री बनाया और इन चुनावों ने उन्हें निर्विवाद रूप से देश का नेता बना दिया। दोनों राज्यों में कांग्रेस तीसरे स्थान पर चली गई है और उसने इतनी सीटें भी नहीं दी है कि वह विपक्ष का नेता पद भी हासिल कर सके। उन्होंने कहा, हाल के उपचुनावों के नतीजों को लेकर यह दलीले दी जाने लगी कि मोदी लहर खत्म हो गई है लेकिन मोदी लहर सुनामी की तरह सबको ध्वस्त करने में सक्षम है।कांग्रेस का जनाधार घटानई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त का सामना करने वाली कांग्रेस को हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में भी तगडा झटका लगा है और लंबे समय से इन राज्यों में सरकार चला रही यह पार्टी तीसरे स्थान पर पिछड़ गई है। लोकसभा चुनाव में कई राज्यों से साफ हो गई कांग्रेस को इन दोनों राज्यों में विधानसभा चुनावों में भी मुंह की खानी पडी है। लोकसभा में उसे मात्र 44 सीटें मिली थीं जो विपक्ष के नेता का पद हासिल करने के लिए जरूरी संख्या से भी कम है। हरियाणा व महाराष्ट्र में तीसरे स्थान पर पिछड जाने के बाद उसे वहां भी विपक्ष का नेता पद नहीं मिलेगा। महाराष्ट्र में पिछले पंद्रह वर्ष से सरकार का नेतृत्व कर रही कांग्रेस को अब तक की सबसे बुरी पराजय का सामना करना पड़ा है तथा वह 288 सदस्यों वाली विधानसभा में 50 से नीचे सिमट गई। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ मिलकर तीन बार से भाजपा-शिवसेना गठबंधन को मात दे रही कांग्रेस का गठबंधन इस बार जारी नहीं रह सका जिसका खामियाजा दोनों पार्टियों को उठाना पड़ा और वे तीसरे और चौथे स्थान पर पहुंच गईं। वैसे भाजपा और शिवसेना ने भी इस बार अलग-अलग चुनाव लड़ा था। हरियाणा में दस वर्ष से सत्तारुढ कांग्रेस को पार्टी की अंदरुनी गुटबाजी ले डूबी। मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के विरुद्ध पार्टी के  अंदर से उठ रही आवाज को केंद्रीय नेतृत्व द्वारा तवज्जो नहीं दिए जाने पर कांग्रेस के कई बड़े नेता चुनाव से पहले ही पार्टी छोड़ कर चले गए। इनमें राव इंदौरजीत सिंह, चौधरी वीरेंद्र सिंह और अवतार भड़ाना शामिल हैं। चुनावों से कुछ दिन पूर्व हुड्डा सरकार के मंत्री कैप्टन अजय यादव ने भी पद से इस्तीफा दे दिया था लेकिन बाद में उन्हें मना लिया गया था। टिकटों के बंटवारे को लेकर श्री हुड्डा और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर के बीच भी अनबन हो गई थी। पार्टी के कुछ अन्य नेता भी दबी छिपी जुबान में श्री हुड्डा की कार्यशैली पर उंगली उठा रहे थे। लोकसभा चुनावों के बाद हरियाणा व महाराष्टï्र में मुख्यमंत्री बदले जाने की मांग भी पार्टी के अंदर उठी थी, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने किसी भी विरोध का तवज्जो न देते हुए अपने मुख्यमंत्रियों को बदलने से इनकार कर दिया था। पार्टी का तर्क था कि दोनों ही राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में अंतिम समय पर नेतृत्व बदलने से पार्टी को नुकसान हो सकता है। लेकिन जनता ने आज जब अपना फैसला सुनाया तो दोनों ही राज्य कांग्रेस के हाथ से न केवल निकल गए बल्कि वह एक नम्बर की पार्टी से सीधे तीन नम्बर की पार्टी बन गई। महाराष्टï्र में तो चौथे नम्बर की पार्टी राकांपा को कांग्रेस से सिर्फ एक सीट कम मिली।

अपनी राय दें