• महाराष्ट्र व हरियाणा में चुनाव प्रचार थमा

    नई दिल्ली ! महाराष्ट्र तथा हरियाणा में 15 अक्टूूबर को होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए चुनाव प्रचार का शोर सोमवार की शाम छह बजे समाप्त हो गया। इन दोनों राज्यों में चुनावों की महत्ता इस बात से ही समझी जा सकती है कि स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय जनता पार्टी के चुनाव प्रचार की कमान संभाली हुई थी और वह रोजाना दोनों राज्यों में अनेक रैलियों को संबोधित कर रहे थे। प्रचार के अंतिम दिन सोमवार को भी मोदी ने महाराष्ट्र में तीन रैलियों को संबोधित किया।...

    दांव पर राष्टï्रीय व क्षेत्रीय दलों की साख नई दिल्ली !    महाराष्ट्र तथा हरियाणा में 15 अक्टूूबर को होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए चुनाव प्रचार का शोर सोमवार की शाम छह बजे समाप्त हो गया। इन दोनों राज्यों में चुनावों की महत्ता इस बात से ही समझी जा सकती है कि स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय जनता पार्टी के चुनाव प्रचार की कमान संभाली हुई थी और वह रोजाना दोनों राज्यों में अनेक रैलियों को संबोधित कर रहे थे। प्रचार के अंतिम दिन सोमवार को भी  मोदी ने महाराष्ट्र में तीन रैलियों को संबोधित किया। ये चुनाव प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी भाजपा तथा कांग्रेस दोनों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गए हैं। पूर्ण बहुमत के साथ केंद्र में सत्ता में आने के बाद से जितने भी राज्यों में उप चुनाव हुए हैं उनमें भाजपा का प्रदर्शन अत्यंत फीका रहा है। इसलिए राजनीतिक हलकों में इस आशय की बात होने लगी है कि मोदी का तिलिस्म टूटने लगा है। लोक सभा चुनाव में शर्मनाक हार का सामना करने वाली कांग्रेस के लिए इन दोनों में अच्छा करना बहुत जरूरी है क्योंकि दोनों ही जगह उसकी सरकार है। इन राज्यों में अच्छा प्रदर्शन कांग्रेस को नई जिंदगी दे सकता है। कांग्रेस के अलावा राष्टï्रवादी कांग्रेस और शिवसेना की साख भी इन चुनावों में दांव पर लगी हुई है।     गठबंधन के मामले में कांग्रेस और भाजपा की स्थिति एक सी है। महाराष्ट्र में जहां भाजपा और शिवसेना पिछले 25 सालों से साथ थे वहीं कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस भी पिछले 15 साल तक एक साथ रहने के बाद अलग हुए हैं। 

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