• शौचालय निर्माण की हकीकत : वेबसाइट पर 45 के नाम, जमीन पर एक गड्ढा तक नहीं

    भोपाल ! श्योपुर जिले के कराहल विकास खण्ड में शौचालय इस्तेमाल के लिए सूचना, शिक्षा एवं संचार (आई.ई.सी.) के नाम पर जो राशि जारी की गई थी, उसका उपयोग तो हुआ ही नहीं, उल्टे छानबीन करने पर पाया गया, कि शौचालय निर्माण की जो जानकारी सरकार ने वेबसाइट में दी गई है, वहां तो अब तक गड्ढा भी नहीं खोदा गया है। जाहिर है, शौचालय निर्माण के नाम पर हितग्राहियों के साथ धोखाधड़ी की गई है। ...

    खुले में शौच की समस्या से निपटने के लिए भारत सरकार ने 1986 में केंद्रीय ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम शुरू किया था। इसके तहत लोगों के लिए शौचालय तो बनाए गए परंतु खुले में शौच जाने वाले लोगों की तादाद में कोई खास कमी नहीं आई।  इसके बाद कांग्रेसनीत संप्रग सरकार में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने निर्मल भारत अभियान के दिशा-निर्देशों में  शौचालय की जरूरत समझने पर जोर दिया था। अब देश के नये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी महात्मा गांधी के 150वें जन्मदिन पर लोगों को एक साफ-सुथरा भारत देना चाहते हैं, जिसकी विधिवत शुरुआत वे 2 अक्टूबर को स्वच्छ भारत अभियान की घोषणा के साथ करेंगे। इस तरह देखा जाये, तो सरकारें अब तक  शौचालय बनाने पर ही जोर देती चली आ रही हैं।  वर्ष 2013-14 में भारत सरकार ने शौचालय बनाने पर 2500 करोड़ रुपये और लोगों में जागरूकता लाने के लिए  208 करोड़ रुपये खर्च किए। इसके बावजूद लोगों में शौचालय को लेकर जागरूकता बहुत कम है और कई गांव ऐसे हैं, जहां शौचालय कागजों पर ही बने है। ऐसा ही  मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले का एक गांव हैं- 'बाढ़Ó, जहां एक भी घर में  शौचालय नहीं हैं, लेकिन राज्य सरकार की वेबसाइट में 45 हितग्राहियों के नाम दर्ज हैं। भोपाल !   श्योपुर जिले के कराहल विकास खण्ड में शौचालय इस्तेमाल के लिए सूचना, शिक्षा एवं संचार (आई.ई.सी.) के नाम पर जो राशि जारी की गई थी, उसका उपयोग तो हुआ ही नहीं, उल्टे छानबीन करने पर पाया गया, कि शौचालय निर्माण की जो जानकारी सरकार ने वेबसाइट में दी गई है, वहां तो अब तक गड्ढा भी नहीं खोदा गया है। जाहिर है, शौचालय निर्माण के नाम पर  हितग्राहियों के साथ  धोखाधड़ी की गई है।  दरअसल, सरकारी वेबसाइट में कराहल विकास खण्ड मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूर बाढ़ गांव में समग्र स्वच्छता अभियान के तहत वर्ष 2011-12 में 45 घरों में शौचालय निर्माण की जानकारी के साथ हितग्राहियों के नाम दिये गये है, लेकिन जब इस संवाददाता ने गांव का दौरा किया, तो पाया, कि गांव के एक भी घरोंकिसी भी घर में शौचालय नहीं है। जबकि यहां के लोगों ने कहा, कि वे  हर बार ग्राम सभा में शौचालय की मांग करते हैं। 65 वर्षीय इन्द्रपाल रतन का नाम हितग्राही के रूप में वेबसाइट पर है। उन्होंने बताया, कि 7 पुश्तों से वह यहां रह रहे हैं और उनके घर पर आज तक शौचालय नहीं बना है। उन्होंने कहा, कि उन्हें यह मालूम ही नहीं, कि हितग्राही के रूप में वेबसाइट में उनका नाम डाला गया है। जबकि वे कई बार पंचायत में सरपंच -सचिव से शौचालय की मांग कर चुके हैं, लेकिन हर बार यही कहकर टाल दिया जाता है, कि बजट आयेगा, तब बन जायेगा । उन्होंने कहा, कि यह तो सरासर गलत है, वे इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से करेंगे। कुछ इसी तरह की प्रतिक्रिया 30 वर्षीय घनश्याम और हजारी रंगा के परिवार वालों ने भी व्यक्त की। इनके भी नाम हितग्राही के रूप में वेबसाइट पर है। श्री रंगा की पत्नी फूलाबरी ने कहा, कि उन्हें सबसे ज्यादा दिक्कत बरसात के दिनों में होती है, जब शौच जाने के लिए रास्ता ही नहीं बचता।  ऊपर से सांप-बिच्छुओं का डर बना रहता है।  इन लोगों ने कहा, कि वर्षों से हम लोग पंचायत से शौचालय बनवाने की मांग कर रहे हैं, पर हमारी कोई नहीं सुनता। यहां के उप सरपंच गुरूदेव सिंह ने बताया, कि उसे यह मालूम नहीं, कि सरकारी वेबसाइट में इस तरह की गलत जानकारी दी जाती है। वे इस मामले को 2 से 5 अक्टूबर तक चलने वाले विशेष ग्राम सभा में उठायेंगे । मिश्रित आबादी वाले इस गांव में लगभग 50 परिवार रहते हैं। इनमें 30 यादव परिवार, 8 ठाकुर और बाकी सहरिया आदिवासी परिवार हैं। 4 सरकारी नलकूपों से यहां सभी मिल-जुल कर पानी लेते है। लेकिन गर्मी के दिनों में पेयजल का संकट खड़ा हो जाता है। बहरहाल, कराहल विकास खण्ड में कुछ अन्य गांवों में सकारात्मक बातें भी नजर आईं। इनमें सहरिया बाहुल कराहल के रानीपुरा गांव की ग्यारसी बाई का घर, जहां  निर्मल भारत अभियान योजना के तहत शौचालय बना है और उसका परिवार  इसका इस्तेमाल भी करने लगा हैं। ग्यारसी बाई से प्रेरित होकर इस गांव के करीब 25 आदिवासी परिवारों ने खुले में शौच बंद कर दिया है। इसी तरह सेसईपुरा गांव की 30 वर्षीय सुनीता जाटव को ऊॅची-ऊॅची घास के बीच  से गुजरकर खुले में शौच जाने से डर लगता था, इसलिए उसने अपने पति पर दबाव बनाकर अपने पैसे से घर पर शौचालय बनवाया। इसके लिये उसका सार्वजनिक अभिनंदन किया गया और सम्पूर्ण राशि उसे लौटा दी गई । सुनीता अब  सेसईपुरा गांव की प्रेरक बनी हैं। यहां 80 शौचालय बने है और लगभग आधे हितग्राही इसका उपयोग भी करने लगे हैं। कराहल विकास खण्ड की समन्वयक देवेश्वरी शर्मा ने बताया, कि मर्यादा अभियान के तहत 20 पंचायतों में युद्ध स्तर पर काम चल रहा है। लेकिन यहंां सबसे बड़ी चुनौती पानी और चट्टानों की है। गर्मी के दिनों में यहां पीने के लिए पानी नहीं मिल पाता, तो लोग शौच के लिए लोग पानी कहां से लायेंगे। यहां  4-5 पंचायतें ऐसी हैं, जहां बड़ी-बड़ी चट्टानें हैं। ऐसे में वहां  एक मीटर गड्ढा खोदना भी मुश्किल है। शासन के निर्णय के बाद होगी कार्रवाई2 अक्टूबर से स्वच्छ भारत अभियान को सफल बनाने के लिए सर्वे का काम चल रहा है, जो अक्टूबर के अंत तक समाप्त हो जायेगा। उसकी रिपोर्ट के आधार पर शासन जो भी निर्णय लेगा , उसी के आधार पर आगे की कार्रवाई की जायेगी। हालांकि समग्र स्व्च्छता अभियान योजना के तहत 22 सौ रुपयों में जितने भी  शौचालय बनाये गये थे, वह सब क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। अभियान को सफल बनाने के लिए उसके पुनर्निमाण की जरूरत है। कराहल विकास खण्ड के 10 ग्राम पंचायतों को चिन्हित कर वर्ष 2015 तक उसे खुले में शौच से मुक्त किये जाने तथा 2019 तक सम्पूर्ण जिले को खुले में शौच से मुक्त करने का संकल्प है।-गौरीशंकरडोंगरे, जिला समन्वयक, श्योपुर

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