• एशियाई खेल : आहत सरिता ने पदक लेने से किया इनकार

    इंचियोन (दक्षिण कोरिया) ! भारतीय महिला मुक्केबाज सरिता देवी बुधवार को पदक समारोह में हिस्सा लेने तो आईं पर जजों के निर्णय से आहत कांस्य विजेता सरिता देवी ने पदक ग्रहण करने से इनकार कर दिया। दक्षिण कोरिया के इंचियोन में चल रहे 17वें एशियाई खेलों में सरिता देवी ने मंगलवार को दक्षिण कोरियाई प्रतिद्वंद्वी जिना पार्क के खिलाफ सेमीफाइनल मुकाबले में शानदार प्रदर्शन किया, लेकिन जजों ने दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से जिना पार्क को विजेता घोषित कर दिया। भारत ने निर्णय के खिलाफ अपील भी की, लेकिन उनकी अपील ठुकरा दी गई।...

    इंचियोन (दक्षिण कोरिया) !  भारतीय महिला मुक्केबाज सरिता देवी बुधवार को पदक समारोह में हिस्सा लेने तो आईं पर जजों के निर्णय से आहत कांस्य विजेता सरिता देवी ने पदक ग्रहण करने से इनकार कर दिया। दक्षिण कोरिया के इंचियोन में चल रहे 17वें एशियाई खेलों में सरिता देवी ने मंगलवार को दक्षिण कोरियाई प्रतिद्वंद्वी जिना पार्क के खिलाफ सेमीफाइनल मुकाबले में शानदार प्रदर्शन किया, लेकिन जजों ने दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से जिना पार्क को विजेता घोषित कर दिया।भारत ने निर्णय के खिलाफ अपील भी की, लेकिन उनकी अपील ठुकरा दी गई।फैसले से आहत सरिता देवी ने बुधवार को कांस्य पदक तो स्वीकार कर लिया, लेकिन पोडियम पर उन्होंने पदक को अपने गले में पहनने से इनकार कर दिया।पोडियम से जाते हुए सरिता देवी ने पदक को वहीं पोडियम पर छोड़ दिया, जिसे देख वहां मौजूद दर्शक दंग रह गए। आयोजकों ने पदक अपने पास रख लिया है और सरिता पर इसके साथ ही एआईबीए द्वारा आयोजित प्रतिस्पर्धाओं में हिस्सा लेने पर प्रतिबंध की संभावना बन गई है।पदक समारोह के दौरान भी सरिता लगातार रोती रहीं और वियतनाम की कांस्य पदक विजेता थि डुयेन लू उन्हें शांत कराने की कोशिश करती रहीं।पूरी घटना ने बीजिंग ओलम्पिक-2008 के उस वाकए की याद दिला दी, जिसमें स्वीडन के पहलवान एरा अब्राहम ने बेहद विवादित सेमीफाइनल मुकाबले में मिली जीत के बाद अपना कांस्य पदक फेंक दिया था।अब्राहम को इसके बाद कुश्ती की विश्व नियामक संस्था फीला द्वारा दो वर्ष के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था और जुर्माना भी लगाया गया था।पदक समारोह के दौरान सरिता ने अपना कांस्य पदक जिना पार्क को देकर उन्हें गले से लगाया और पदक छोड़कर चली गईं। अचंभित पार्क ने जाने से पहले पदक वहीं पोडियम पर रख दिया।सरिता ने अपने निर्णय का बचाव करते हुए कहा कि यदि वह ऐसा नहीं करतीं तो यह उन्हें जीवन भर सालता रहता।सरिता ने कहा, "ऐसा नहीं है कि मैं पदक नहीं लेना चाहती थी। मैंने पदक स्वीकार कर लिया उसके बाद मैंने इसे कोरियाई खिलाड़ी को वापस कर दिया। मुक्केबाजी में आगे अपना करियर जारी रखने के लिए मुझे ऐसा करना पड़ा, क्योंकि यदि मैं ऐसा नहीं करती तो यह घटना मेरे दिमाग में हमेशा चलती रहती।"सरिता ने किसी भी परिणाम के लिए खुद को तैयार बताया और भारतीय अधिकारियों की भी आलोचना की।उन्होंने कहा, "मैं कोई भी परिणाम झेलने के लिए तैयार हूं। एक भी भारतीय अधिकारी हमारे पास ढांढस बंधाने तक नहीं आया और न ही हमसे इस संबंध में कोई बात की गई।"

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