• ऋणदाताओं को बड़ी राहत ,आरबीआई ने ब्याज दरें रखी यथावत

    मुंबई ! भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मंगलवार को मौजूदा कारोबारी साल की मौद्रिक नीति की चौथी द्विमासिक समीक्षा में प्रमुख ब्याज दरों को यथावत रखने का निर्णय लिया। शेयर बाजारों पर फैसले का विशेष असर नहीं देखा गया। जानकारों ने पहले ही दरों में परिवर्तन नहीं किए जाने का अनुमान लगा रखा था। दरों की घोषणा के बाद रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने संवाददाताओं से कहा कि हमने कहा है कि जनवरी 2016 तक छह फीसदी की महंगाई दर के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए हमने सही स्थिति बना रखी है। उपभोक्ता महंगाई दर अगस्त में 7.8 फीसदी दर्ज की गई है, ...

    मुंबई !   भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मंगलवार को मौजूदा कारोबारी साल की मौद्रिक नीति की चौथी द्विमासिक समीक्षा में प्रमुख ब्याज दरों को यथावत रखने का निर्णय लिया। शेयर बाजारों पर फैसले का विशेष असर नहीं देखा गया। जानकारों ने पहले ही दरों में परिवर्तन नहीं किए जाने का अनुमान लगा रखा था। दरों की घोषणा के बाद रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने संवाददाताओं से कहा कि हमने कहा है कि जनवरी 2016 तक छह फीसदी की महंगाई दर के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए हमने सही स्थिति बना रखी है। उपभोक्ता महंगाई दर अगस्त में 7.8 फीसदी दर्ज की गई है, जो अप्रैल में 8.59 फीसदी थी। थोक महंगाई दर भी अगस्त में घटकर 3.74 फीसदी दर्ज की गई, जो अप्रैल में 5.55 फीसदी थी। आरबीआई ने जनवरी 2015 तक उपभोक्ता महंगाई दर के आठ फीसदी पर आ जाने और जनवरी 2016 तक इसके छह फीसदी पर आ जाने की उम्मीद की है। दरों में बदलाव नहीं होने का मतलब है कि आवास, वाहन और अन्य ऋ णों पर दी जाने वाली मासिक किश्तों में बदलाव नहीं होगा, क्योंकि आरबीआई की इन्हीं दरों से वाणिज्यिक बैंकों की ब्याज दरें तय होती हैं। दरों में कटौती किए जाने से वाणिज्यिक बैंकों के लिए भी आरबीआई से धन जुटाना सस्ता हो जाता है। यदि दरें घटाई जातीं, तो वाणिज्यिक बैंक सरकारी प्रतिभूति के रूप में आरबीआई में अतिरिक्त राशि न रखकर वाणिज्यिक कर्ज के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित होते। इससे बाजार में तरलता बढ़ती। मंगलवार की समीक्षा में रिजर्व बैंक ने रेपो दर को आठ फीसदी ही रखा। यह वह दर है, जो विभिन्न बैंक अपनी लघुकालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए रिजर्व बैंक से ऋण लेने पर ब्याज के रूप में चुकाते हैं। 

अपनी राय दें