• कश्मीर पहुंचने लगी हैं केंद्र की दवाइयां

    श्रीनगर ! कश्मीर में बाढ़ की विभीषिका के बीच सरकारी अस्पतालों में 3,500 से ज्यादा शिशुओं का जन्म हुआ। बाढ़ के कारण घाटी के ज्यादातर अस्पताल प्रभावित हुए थे। एक आधिकारिक प्रवक्ता ने आज बताया, 4 से 20 सितंबर तक बाढ़ के दौरान कश्मीर के विभिन्न अस्पतालों में करीब 2,300 सामान्य प्रसव और 1,260 सीजेरियन प्रसव कराए गए। प्रवक्ता ने बताया कि उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक 20 सितंबर को समाप्त हुए पखवाड़े के दौरान पूरी कश्मीर घाटी के जिला अस्पतालों की ओपीडी में 5,77,595 मरीज आए थे। जबकि बाढ़ प्रभावित जम्मू कश्मीर में जलजनित बीमारियों का प्रकोप रोकने के लिए केंद्र ने भारी मात्रा में दवाइयां और टीके यहां भेजे हैं।...

    बाढ़ के बीच कश्मीर में जन्मे 3500 शिशु सरकारी अस्पतालों में  : श्रीनगर !    कश्मीर में बाढ़ की विभीषिका के बीच सरकारी अस्पतालों में 3,500 से ज्यादा शिशुओं का जन्म हुआ। बाढ़ के कारण घाटी के ज्यादातर अस्पताल प्रभावित हुए थे। एक आधिकारिक प्रवक्ता ने आज बताया, 4 से 20 सितंबर तक बाढ़ के दौरान कश्मीर के विभिन्न अस्पतालों में करीब 2,300 सामान्य प्रसव और 1,260 सीजेरियन प्रसव कराए गए। प्रवक्ता ने बताया कि उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक 20 सितंबर को समाप्त हुए पखवाड़े के दौरान पूरी कश्मीर घाटी के जिला अस्पतालों की ओपीडी में 5,77,595 मरीज आए थे।जबकि बाढ़ प्रभावित जम्मू कश्मीर में जलजनित बीमारियों का प्रकोप रोकने के लिए केंद्र ने भारी मात्रा में दवाइयां और टीके यहां भेजे हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय को बताया कि खसरे की 5.5 लाख से अधिक खुराक तथा विटामिन ए की 30,000 शीशियां श्रीनगर के लिए और खसरे के टीके की 50,000 खुराक जम्मू के लिए भेजी गई है। उन्होंने बताया, इन अस्पतालों में उपचार के लिए करीब 34,600 मरीज भर्ती हुए थे जबकि 1,435 के बड़े ऑपरेशन किए गए, वहीं 1,03,160 प्रयोगशाला परीक्षण किए गए। प्रवक्ता ने बताया कि इस दौरान 145 चिकित्सा शिविर की स्थापना की गई थी जिनमें 62 श्रीनगर शहर में थे। ज्यादातर इलाकों में जरूरी दवाएं भी उपलब्ध कराई जा रही थीं। लगभग 100 करोड़ रूपए के नुकसान से जूझने के बावजूद एसएमएचएस अस्पताल अधिकारियों ने मुफ्त चिकित्सा शिविर का भी आयोजन किया जिनमें मधुमेह, उच्च रक्तचाप और अन्य गंभीर बीमारियों से पीडि़त मरीजों को परामर्श और उपचार दिया गया। बाढ़ के तत्काल बाद बोन एंड ज्वाइंट हॉस्पिटल बरजुला ने काम करना शुरू कर दिया। लाल देद और जीबी पंत अस्पतालों में पानी निकाले जाने और सोमवार को सफाई अभियान चलाने के बाद इनकी ओपीडी ने भी काम करना शुरू कर दिया है।उच्च न्यायालय में पेश रिपोर्ट में कहा गया है कि मानसिक सामाजिक जरूरत के आकलन के लिए बेंगलूर स्थित 'नेशनल इन्स्टीट्यूट ऑफ मेन्टल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेजÓ के विशेषज्ञों के दो दल 12 सितंबर से यहां तैनात किए गए हैं। गृह मंत्रालय की इस रिपोर्ट के अनुसार, राज्य सरकार के आग्रह पर परिवार एवं स्वास्थ्य कल्याण मंत्रालय 28 चिकित्सकों सहित 191 विशेषज्ञ डॉक्टर और तकनीशियन, 27 स्त्री रोग विशेषज्ञ, 28 निश्चेतक (एनेस्थेटिस्ट्स), 6 रेडियोलॉजिस्ट, 6 सर्जन, 28 शिशु रोग विशेषज्ञ, 34 ऑपरेशन थिएटर तकनीशियन और 34 ओटी सहायक तैनात करने की व्यवस्था कर रहा है।रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य सेवा विशेष महानिदेशक, अतिरिक्त सचिव, संयुक्त सचिव और अतिरिक्त उप महानिदेशक बाढ़ प्रभावित राज्य में स्वास्थ्य संबंधी स्थिति का आकलन करने के लिए श्रीनगर आए थे। इसमें कहा गया है कि जम्मू और श्रीनगर में स्वास्थ्य संबंधी आकलन शीघ्र करने और जनस्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं की रोकथाम एवं नियंत्रण करने के लिए 8 सितंबर से दो केंद्रीय जन स्वास्थ्य दल राज्य में पदस्थ हैं। इनमें से एक दल जम्मू में और दूसरा श्रीनगर में पदस्थ है। इसके अलावा अनंतनाग, पुलवामा, कुलगाम, शोपियां, बडगाम तथा बांदीपोरा के जिला अस्पताल में प्रभावित लोगों की विशेष देखभाल के लिए चिकित्सकों, शिशु रोग विशेषज्ञों तथा स्त्री रोग विशेषज्ञों का 29 सदस्यीय क्लीनिकल दल घाटी में तैनात है।केंद्र ने दी अदालत को जानकारीकेंद्र सरकार ने एक रिपोर्ट उच्च न्यायालय में पेश की जिसमें कहा गया, क्लोरीन की 10 लाख गोलियों की जम्मू कश्मीर को आपूर्ति की जा चुकी है जबकि 11 लाख अतिरिक्त गोलियों की भोपाल से रेल द्वारा दिल्ली आपूर्ति की जा रही है। 25 लाख मीट्रिक टन ब्लीचिंग पाउडर जम्मू पहुंच चुका है। रेबीज रोधी टीके की 3000 शीशियां भेजी हैं। मुंबई और दिल्ली से विमान के जरिये एक लाख सैनिटरी नैपकिन तथा ओआरएस के 50,000 पैकेट भेजे जा रहे हैं।

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