• 'अस्तित्व' के पेंच में फंसे गठबंधन

    नई दिल्ली ! महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में टूट रही गठबंधनों की गाठ को जोडऩे के प्रयासों के बीच मुख्यमंत्री पद की लालसा बड़ी बाधा बन रही है। यही कारण है कि भाजपा-शिवसेना व कांग्रेस-राकांपा के बीच ज्यादा सीटों पर चुनाव लडऩे की होड़ मची हुई है। गठबंधनों में शामिल सभी दलों को यह बात अच्छी तरह पता है कि चुनाव के बाद गठबंधन में जिस दल की ज्यादा सीटें होंगी, उसी का मुख्यमंत्री होगा। सूत्रों से मिल रही सूचनाओं के मुताबिक, महाराष्टï्र में शिवसेना व राकांपा के सामने अपनी पार्टी का वजूद बचाने की बड़ी चुनौती है। यही कारण है कि दोनों मराठा क्षत्रप इस बात को समझ चुके हैं कि यदि वो अलग-अलग भाजपा व कांग्रेस जैसे दलों से ज्यादा समझौतावादी हो जाएंगे तो उनके वजूद को गंभीर खतरा पैदा हो सकता है। ...

    महाराष्ट्र में नए गठबंधन की सुगबुगाहट नई दिल्ली !   महाराष्ट्र  विधानसभा चुनाव में टूट रही गठबंधनों की गाठ को जोडऩे के प्रयासों के बीच मुख्यमंत्री पद की लालसा बड़ी बाधा बन रही है। यही कारण है कि भाजपा-शिवसेना व कांग्रेस-राकांपा के बीच ज्यादा सीटों पर चुनाव लडऩे की होड़ मची हुई है। गठबंधनों में शामिल सभी दलों को यह बात अच्छी तरह पता है कि चुनाव के बाद गठबंधन में जिस दल की ज्यादा सीटें होंगी, उसी का मुख्यमंत्री होगा। सूत्रों से मिल रही सूचनाओं के मुताबिक, महाराष्ट्र  में शिवसेना व राकांपा के सामने अपनी पार्टी का वजूद बचाने की बड़ी चुनौती है। यही कारण है कि दोनों मराठा क्षत्रप इस बात को समझ चुके हैं कि यदि वो अलग-अलग भाजपा व कांग्रेस जैसे दलों से ज्यादा समझौतावादी हो जाएंगे तो उनके वजूद को गंभीर खतरा पैदा हो सकता है। सीटों के बटवारे की सियासत के पीछे ज्यादा सीटें जीतकर अपने वर्चस्व को राकांपा व शिवसेना दोनों ही दल कायम रखना चाहते हैं। सूत्रों के अनुसार, यदि कांग्रेस का राकांपा से और भाजपा का शिवसेना से गठबंधन टूटा तो महाराष्ट्र में शिवसेना-राकांपा के रूप एक नया गठबंधन अस्त्वि में आ सकता है। शायद यही कारण है कि शिवसेना व राकांपा अपने-अपने गठबंधनों को लेकर न सिर्फ पहले से ज्यादा सतर्क हैं बल्कि आश्वस्थ भी हैं कि वो गठबंधनों के टूटने की स्थिति में भी लाभ में रहेंगी। जबकि गठबंधन टूटने के भय से अंदरखाने भाजपा व कांग्रेस दोनों की चूलें हिली हुई हैं। इन्हीं संभावनाओं को देखते हुए कांग्रेस व भाजपा अपने गठबंधन के सहयोगियों के प्रति लचीला रवैया अपनाते हुए अल्टीमेटम दे नहीं पा रहीं हैं बल्कि उनको अंतिम निर्णय लेने के लिए अल्टीमेटम लगातार मिल रहे हैं। इसी कवायद के बीच भारतीय जनता पार्टी अपने सबसे पुराने और विश्वस्त सहयोगी शिवसेना के साथ 25 साल पुराने गठबंधन को टूटने से बचाने के लिए अंतिम प्रयास में लगी है वहीं महाराष्ट्र  के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण कांग्रेस तथा राष्टï्रवादी कांग्रेस पार्टी  के साथ सीटों के बटवारे पर फैसला लेने के लिए पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलेंगे। भाजपा के सूत्रों के अनुसार, पार्टी के राष्टïरीय अध्यक्ष अमित शाह ने शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से सोमवार की सुबह फोन पर बातचीत की और गठबंधन बनाए रखने पर जोर दिया। इस बातचीत के बाद दोनों दलों के बीच पिछले कुछ दिनों से बढ़ रहे तनाव में कमी आई है और यह भरोसा बना है कि शिवसेना पार्टी को कुछ और सीटें देंने पर राजी हो सकती है लेकिन दोनों पार्टियों की तरफ से इस बारे में कुछ भी आधिकारिक तौर नहीं कहा जा रहा है।  

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