• भारत को चीन बनने की जरूरत नहीं : मोदी

    नई दिल्ली ! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि आज एशिया का युग है और भारत तथा चीन वैश्विक मंच पर समान गति से आगे बढ़ रहे हैं इसलिए चीन पड़ोसियों को साथ लिए बिना प्रगति नहीं कर सकता। प्रधानमंत्री ने एक समाचार चैनल को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि यह दौर मिलकर आगे बढऩे का है। मोदी ने कहा कि भारत को चीन बनने की जरूरत नहीं है। भारत को भारत ही बने रहना है और प्रगति के मार्ग पर आगे बढऩा है। उन्होंने कहा कि यह समय मिलकर प्रगति करने का है और इस स्थिति में चीन पडा़ेसियों को साथ लेकर ही आगे बढ़ सकता है और एशिया को दोबारा अपने स्वर्णिम युग का गौरव हासिल करने का मौका मिल सकता है।...

    चीन को पड़ोसियों को साथ लेकर बढऩा होगा आगेभारत को चीन बनने की जरूरत नहीं है। भारत को भारत ही बने रहना है और प्रगति के मार्ग पर आगे बढऩा है : नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री  नई दिल्ली !   प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि आज एशिया का युग है और भारत तथा चीन वैश्विक मंच पर समान गति से आगे बढ़ रहे हैं इसलिए चीन पड़ोसियों को साथ लिए बिना प्रगति नहीं कर सकता। प्रधानमंत्री ने एक समाचार चैनल को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि यह दौर मिलकर आगे बढऩे का है। मोदी ने कहा कि भारत को चीन बनने की जरूरत नहीं है। भारत को भारत ही बने रहना है और प्रगति के मार्ग पर आगे बढऩा है। उन्होंने कहा कि यह समय मिलकर प्रगति करने का है और इस स्थिति में चीन पडा़ेसियों को साथ लेकर ही आगे बढ़ सकता है और एशिया को दोबारा अपने स्वर्णिम युग का गौरव हासिल करने का मौका मिल सकता है। उन्होंने कहा कि चीन अकेले आगे नहीं बढ़ सकता है, उसे पड़ोसियों को साथ लेकर चलना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि एशिया का दौर सदियों बाद फिर शुरू हुआ है और भारत तथा चीन समान गति से विकास पथ पर आगे बढ़ रहे हैं। यह पूछने पर कि चीन का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) कई वर्षों से नौ फीसदी पर चल रहा है। भारत कई वर्षों से इस स्तर तक पहुंचने का प्रयास कर रहा है लेकिन वह अब भी इस दर से बहुत पीछे है। ऐसे में भारत किस तरह से चीन के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सकता है। मोदी ने कहा कि भारत में असीमित प्रतिभा मौजूद है और उन्हें देश की सवा अरब की आबादी की क्षमता पर पूरा भरोसा है। इस असीमित शक्ति का विकास के लिए इस्तेमाल करने का उनके पास रोडमैप है। मोदी ने कहा कि एशिया और भारत की प्रगति की रफ्तार को देखकर समझ में आ जाता है कि वैश्विक मंच पर फिर एशिया का दौर शुरू हो गया है। उन्होंने कहा कि एशिया महाद्वीप के दो बड़े देशों भारत और चीन के पिछले पांच या दस शताब्दियों के इतिहास पर नजर दौड़ाई जाए तो दोनों मुल्क एक ही गति से आगे बढ़ते रहे हैं। वैश्विक अर्थव्यवस्था में दोनों का योगदान समानरूप से बढ़ा है और इसमें यदि गिरावट आई है तो दोनों मुल्कों का योगदान समान रूप से गिरा है।

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