• प्रतिमा विसर्जन पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय सख्त

    इलाहाबाद । इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नवरात्र दुर्गापूजा के बाद दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन की सरकार द्वारा वैकल्पिक व्यवस्था न करने को न्यायालय के आदेश के प्रति सरकार की गंभीर लापरवाही मानी है। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चन्द्रचूड और न्यायमूर्ति दिलीप गुप्ता की खण्डपीठ ने यह आदेश राज्य सरकार की अर्जी पर दिया है। सरकार की तरफ से अर्जी दायर कर वर्षा 2012 और 2013 में उच्च न्यायालय द्वारा पारित उन आदेशों को संशोधित करने की मांग की गई थी जिसके द्वारा न्यायालय ने प्रदेश में गंगा, यमुना नदियों में मूर्ति विसर्जन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी। रोक लगाने के साथ ही साथ न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया था कि सरकार मूर्तियों के विसर्जन की वैकल्पिक व्यवस्था करे। ...

    इलाहाबाद । इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नवरात्र दुर्गापूजा के  बाद दुर्गा प्रतिमाओं के  विसर्जन की सरकार द्वारा वैकल्पिक व्यवस्था न करने को न्यायालय के आदेश के  प्रति सरकार की गंभीर लापरवाही मानी है। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चन्द्रचूड और न्यायमूर्ति दिलीप गुप्ता की खण्डपीठ ने यह आदेश राज्य सरकार की अर्जी पर दिया है। सरकार की तरफ से अर्जी दायर कर वर्षा 2012 और 2013 में उच्च न्यायालय द्वारा पारित उन आदेशों को संशोधित करने की मांग की गई थी जिसके द्वारा न्यायालय ने प्रदेश में गंगा, यमुना नदियों में मूर्ति विसर्जन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी। रोक लगाने के  साथ ही साथ न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया था कि सरकार मूर्तियों के  विसर्जन की वैकल्पिक व्यवस्था करे। इस प्रकरण की सुनवाई के  समय इलाहाबाद के जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक न्यायालय में उपस्थित थे। इन दोनों अधिकारियों ने न्यायालय को बताया, सरकार ने अभी वैकल्पिक व्यवस्था को लेकर फंड जारी नहीं किया है। इस पर न्यायाधीश ने सरकार को कहा है कि वह एक सप्ताह में निर्णय ले। अन्य जिलों में भी मूर्ति विसर्जन की वैकल्पिक व्यवस्था को लेकरफंड देने के संबंध में न्यायालय अगली तिथि 26 सितम्बर को पुन: सुनवाई करेगी। न्यायालय ने यह आदेश गंगा प्रदूषण को लेकर चल रही जनहित याचिका पर दिया। उच्च न्यायालय ने कहा है कि उन सभी 21 जिलों में जो गंगा, यमुना नदियों के किनारे है। वहां मूर्तियों का विसर्जन पिछली बार की तरह ही किया जाए। इसके  लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सीपीसीबी द्वारा जारी नीति का पूर्णतया अनुपालन करेगा। न्यायालय ने कहा कि डीएम इलाहाबाद ने मूर्तियों के  विर्सजन की व्यवस्था संगम एरिया में काली सड़क पर सौ मीटर गुणा 50 मीटर के तालाब की व्यवस्था कर ली है। प्रदेश के  अन्य 21 जिलों जहां से गंगा, यमुना गुजरती है वहां के प्रशासन ने वैकल्पिक व्यवस्था की है कि नहीं न्यायालय इससे अनिभज्ञ है। इस कारण न्यायालय ने शेष जिलों में पिछले वर्षा की भांति मूर्ति विसर्जन की अनुमति देते हुए सरकार को राहत दी है। ज्ञात हो, इलाहाबाद न्यायालय ने नौ अक्टूबर 12 और छह नवम्बर 2012 को तथा पिछले वर्षा 30 सितम्बर को अलग अलग आदेश देकर निर्देश दिया था कि प्रदेश में गंगा यमुना नदियों में मूर्तियों का विसर्जन नहीं होगा। न्यायालय के  इस आदेश से सरकार सकते में आ गई और कानून व्यवस्था की दुहाई देते हुए वैकल्पिक व्यवस्था होने तक पूर्व की भांति मूतियों के विसर्जन करने देने की न्यायालय से अपील की थी।

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