• पानी घटने के बाद स्वर्ग बना श्मशान

    श्रीनगर ! कश्मीर, जिसका नाम सुनते ही आंखों के आगे बर्फ से लदे पहाड़ और डल झील में तैरते शिकारों की तस्वीर उभर कर आती थी पर अब कश्मीर वह नहीं रहा है जो कथाओं, कहानियों और फिल्मी पर्दे पर दिखा करता था। आज का कश्मीर कैसा है एक बानगी श्रीनगर शहर की ओर नजर घुमा कर देखें तो पता चलेगा।...

    हर जगह तैर रहे शवों को कुत्ते बना रहे शिकार : श्रीनगर ! कश्मीर, जिसका नाम सुनते ही आंखों के आगे बर्फ से लदे पहाड़ और डल झील में तैरते शिकारों की तस्वीर उभर कर आती थी पर अब कश्मीर वह नहीं रहा है जो कथाओं, कहानियों और फिल्मी पर्दे पर दिखा करता था। आज का कश्मीर कैसा है एक बानगी श्रीनगर शहर की ओर नजर घुमा कर देखें तो पता चलेगा। श्रीनगर के अधिकतर हिस्सों में जानवरों के फूल चुके शव तैर रहे हैं। जो मकान गिर गए वहां दफन लोगों तक कोई पहुंचा नहीं है पर कुत्ते जरूर पहुंच गए हैं जो उन्हें नोच रहे हैं। ऐसे में हालात यह है कि अगर पहले पानी के डर से कश्मीर को त्यागने की होड़ लगी थी अब महामारी फैलने के डर से कश्मीर को त्यागने की दौड़ लग गई है। राजबाग में एक मकान के मलबे के नीचे दबे 15 शवों को उस समय निकाला गया जब कुत्तों के झुंड को उस मलबे में देखा गया था। कुत्तों के झुंड मृतकों के शवों पर टूट पड़े थे और एक जानकारी के मुताबिक वे दो शवों को बुरी तरह से नोच चुके थे। ऐसे दृश्य कश्मीर के उन भागों में आम हो गए हैं जो पिछले 10 दिनों से 10 से 30 फुट पानी के नीचे दफन हो गए थे और अब जैसे-जैसे पानी का स्तर कम हुआ, गिरने वाले मकानों और अन्यत्र शवों का मिलना जारी है। फिलहाल आधिकारिक तौर पर ऐसे शवों का आंकड़ा तो नहीं दिया गया है पर गैर सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इनकी संख्या 50 से अधिक है और आशंका यह है कि यह लगातार बढ़ती जाएगी। ऐसी आशंका के पीछे का कारण स्पष्ट है कि अधिकतर युवा लोग तो पानी के आने के बाद सुरक्षित दूसरी या तीसरी मंजिलों पर चढऩे में कामयाब हुए थे पर बुजुर्ग, बच्चे, बीमार और महिलाएं ऐसा नहीं कर पाईं थीं जिनकी जल समाधि बन गई थी। फिलहाल बाढ़ के पानी में लापता लोगों की सूची तैयार की जा रही है। यह बहुत लंबी होने की आशंका इसलिए है क्योंकि लोगों द्वारा अपने लापता संबंधियों के प्रति रिपोर्ट तेजी से करवाई जा रही है। शवों के साथ ही जानवरों के शव भी सैंकड़ों की संख्या में तैरते नजर आ रहे हैं। महामारी फैलने की आशंका का परिणाम यह है कि कश्मीर से भागने की दौड़ लगने लगी है। कश्मीर को खासकर श्रीनगर को महामारी के प्रकोप से बचाने की खातिर केंद्र सरकार से 300 डाक्टरों की मांग राज्य सरकार कर चुकी है। बदले में सिर्फ 19 डाक्टर ही भिजवाए गए हैं।

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