• वैश्विक फैक्टरी, बैक ऑफिस में सहयोग की जरूरत : शी

    नई दिल्ली ! चीन जहां भारत के अधोसंरचना निर्माण और विनिर्माण क्षेत्र में योगदान करने को तैयार है, वहीं भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और फार्मा कंपनियां भी चीन के बाजार में मौजूद अवसरों का लाभ उठाने को तत्पर हैं। यह बात चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बुधवार को अखबार में प्रकाशित अपने एक आलेख में कही। समाचार पत्र हिंदू में प्रकाशित एक विशेष आलेख शीर्षक 'समृद्धि की एक एशियाई सदी की ओर' में शी ने कहा, "विश्व की फैक्टरी (चीन) और विश्व के बैक ऑफिस के बीच तालमेल से दुनिया का सबसे प्रतिस्पर्धी उत्पाद और सबसे आकर्षक उपभोक्ता बाजार बनेगा।"...

    नई दिल्ली !   चीन जहां भारत के अधोसंरचना निर्माण और विनिर्माण क्षेत्र में योगदान करने को तैयार है, वहीं भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और फार्मा कंपनियां भी चीन के बाजार में मौजूद अवसरों का लाभ उठाने को तत्पर हैं। यह बात चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बुधवार को अखबार में प्रकाशित अपने एक आलेख में कही। समाचार पत्र हिंदू में प्रकाशित एक विशेष आलेख शीर्षक 'समृद्धि की एक एशियाई सदी की ओर' में शी ने कहा, "विश्व की फैक्टरी (चीन) और विश्व के बैक ऑफिस के बीच तालमेल से दुनिया का सबसे प्रतिस्पर्धी उत्पाद और सबसे आकर्षक उपभोक्ता बाजार बनेगा।"उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नई सरकार एक मजबूत और आधुनिक 'श्रेष्ठ भारत' बनाने के लिए प्रतिबद्ध है और भारत तथा चीन को अपनी विकास की रणनीति को आपस में जोड़ने की जरूरत है तथा राष्ट्रीय सशक्तीकरण तथा समृद्धि के साझे स्वप्न को मिलकर साकार करने की जरूरत है।आलेख में कहा गया है, "नई सरकार बनने के साथ ही पूरे देश में सुधार और विकास की लहर चल पड़ी है। इससे भारतीय लोगों का मनोबल बढ़ा है और देश में मौजूद अवसरों ने दुनिया भर का ध्यान खींचा है।"शी ने लिखा कि भारत और चीन के सहयोग का नई शताब्दी में काफी विकास हुआ है।शी ने कहा, "शांति और समृद्धि के लिए रणनीतिक साझेदारी स्थापित हुई है। चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया है। यह इस शताब्दी के शुरू में तीन अरब डॉलर से भी कम था, जो करीब 70 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है। दोनों देशों के कुल 8,20,000 लोगों ने गत वर्ष एक-दूसरे देशों की यात्रा की थी।"उन्होंने कहा, "हमारे बीच जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा तथा अन्य वैश्विक मुद्दों पर घनिष्ठ सहयोग है।"सीमा विवाद के बारे में शी ने कहा, "सीमा वार्ता आगे बढ़ी है। दोनों पक्षों ने सीमा क्षेत्रों में शांति बहाली के लिए बातचीत की है।"उन्होंने कहा कि 21वीं सदी में चीन और भारत का संबंध सबसे सक्रिय और संभावनाओं से भरा हुआ है।आलेख में शी ने कहा, "चीन और भारत के सामने ऐतिहासिक अवसर मौजूद है। राष्ट्र निर्माण के हमारे लक्ष्य एक दूसरे के पूरक हैं। हमें विकास की रणनीति को आपस में जोड़ना चाहिए और राष्ट्रीय सशक्तीकरण तथा समृद्धि के साझे स्वप्न को मिलकर पूरे करना चाहिए।"उन्होंने कहा, "मेरा विश्वास है कि चीन की ऊर्जा और भारत के ज्ञान से विशाल संभावनाओं के द्वार खुल सकते हैं।"

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