• वाड्रा भूमि सौदे की सीबीआई जांच पर याचिका खारिज

    दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें हरियाणा के विभिन्न भूमि कारोबारियों को मिले लाइसेंस की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने का मांग की गई थी। इसमें से एक लाइसेंस कथित तौर पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट बाड्रा से संबंधित है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी.रोहिणी और न्यायमूर्ति आर.एस.एंडलॉ की खंडपीठ ने अधिवक्ता एम.एल.शर्मा द्वारा दायर जनहित याचिका खारिज कर दी। ...

    नई दिल्ली | दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें हरियाणा के विभिन्न भूमि कारोबारियों को मिले लाइसेंस की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने का मांग की गई थी। इसमें से एक लाइसेंस कथित तौर पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट बाड्रा से संबंधित है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी.रोहिणी और न्यायमूर्ति आर.एस.एंडलॉ की खंडपीठ ने अधिवक्ता एम.एल.शर्मा द्वारा दायर जनहित याचिका खारिज कर दी। याचिका में शर्मा ने आरोप लगाया है कि नियमों को ताक पर रखकर 21,366 एकड़ कृषि योग्य भूमि को कॉलोनियों में बदलने के लिए कई लाइसेंस जारी किए गए। याचिका के मुताबिक, इस निर्णय से सरकारी खजाने को 3.9 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। याचिका में शर्मा ने आरोप लगाया था कि कॉलोनियों के विकास के लिए लाइसेंसों के आवंटन हरियाणा विकास और शहरी क्षेत्र अधिनियम, 1975 के प्रावधानों के विपरित था। शर्मा ने दावा किया कि डिपार्टमेंट ऑफ टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (डीटीसीपी) ने वर्ष 2005-12 के दौरान गुड़गांव और राज्य के अन्य भागों में फैले 21,366 एकड़ भूमि के लिए सैकड़ों लाइसेंस जारी किए। याचिका के मुताबिक, "डीटीसीपी, हरियाणा द्वारा कॉलोनियों के लाइसेंसों के आवंटन एक ऐसे व्यक्ति के नाम पर किए गए, जो जमीन का मालिक ही नहीं है। भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम 1988 के प्रावधानों के मुताबिक स्पष्ट तौर पर भ्रष्टाचार का मामला बनता है।" जनहित याचिका स्काईलाइट हॉस्पिटलिटी, रॉबर्ट वाड्रा और डीएलएफ के खिलाफ दाखिल की गई थी और भ्रष्टाचार निवारक अधिनियम के तहत आपराधिक मामले दर्ज करने की मांग की गई थी।


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