• ई-रिक्शा चालकों को केंद्र सरकार देगी बड़ी राहत

    नई दिल्ली ! दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा ई रिक्शा पर लगाई गई रोक का तोड़ निकालने का दावा करते केंद्रीय सड़क परिवहन, राजमार्ग और जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि सरकार ई रिक्शा पर नई अधिसूचना दस दिन के भीतर जारी कर देगी। इस अधिसूचना के बाद दिल्ली में ई-रिक्शाओं के चलने का रास्ता साफ हो जाएगा।...

    दस दिन बाद दिल्ली में दौड़ेंगे ई-रिक्शेनई दिल्लीदिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा ई रिक्शा पर लगाई गई रोक का तोड़ निकालने का दावा करते केंद्रीय सड़क परिवहन, राजमार्ग और जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि सरकार ई रिक्शा पर नई अधिसूचना दस दिन के भीतर जारी कर देगी। इस अधिसूचना के बाद दिल्ली में ई-रिक्शाओं के चलने का रास्ता साफ हो जाएगा।श्री गडकरी ने नई सरकार के 100 दिन पूरा होने के मौके पर अपने मंत्रालय की उपलब्धियों का ब्यौरा देने के लिए आयोजित संवाददाता सम्मेलन में आज कहा, ई रिक्शा पर नया प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है। ई रिक्शा के लिए सरकार दस दिन में नई अधिसूचना जारी कर देगी।उन्होंने कहा, इस मामले में नए नियम-कानून बनाए गए हैं। इस प्रक्रिया को पूरा करने में दस दिन का समय लगेगा। इसके बाद दिल्ली में ई-रिक्शाओं के परिचालन का रास्ता साफ हो जाएगा।ज्ञात हो, उच्च न्यायालय ने राजधानी में ई रिक्शा को गैर कानूनी बताते हुए इस पर रोक लगाई हुई है। फैसला राजनीतिक मजबूरी!ई-रिक्शा परिचालन को लेकर सरकार द्वारा दिखाई जा रही तेजी के पीछे राजनीतिक मजबूरियों की झलक दिखाई दे रही है। तमाम कोशिशों के बावजूद भाजपा दिल्ली में सरकार बनाने के मामले में पिछड़ती दिखाई दे रही है। दूसरी ओर विपक्ष लगातार उप राज्यपाल पर दबाव बनाते हुए  दिल्ली में नए चुनाव कराए जाने की घोषणा करने की मांग कर रही है। मुख्य चुनाव आयुक्त वीएस संपत भी साफ कर चुके हैं कि दिल्ली में चुनाव कराने का निर्णय सरकार को लेना है, सरकार की मंजूरी मिलने के बाद वह तुरंत दिल्ली में चुनाव कराने के लिए तैयार हैं। ऐसे में यदि दिल्ली में भाजपा सरकार बनाने में कामयाब नहीं दिल्ली में विधानसभा चुनाव साल के अंत में कराए जा सकते हैं। ऐसे में भाजपा अपने वोट बैंक में विपक्ष की सेंधमारी रोकने के लिए पूरी कोशिश में जुटी है। ई-रिक्शा चालक संघ ने दी थी आंदोलन की धमकीदिल्ली बैट्री-रिक्शा चालक संघ ने ई-रिक्शा पर पाबंदी के खिलाफ 17 सितंबर से जेल भरो आंदोलन करने की चेतावनी दी थी। संघ की कार्यकारिणी की बैठक में चालकों ने यह फैसला लेते हुए केंद्र सरकार 16 सितम्बर तक इसे लेकर नीति स्पष्ट करने की मांग की थी। संघ के पक्ष में सरकार का निर्णय न आने पर 17 सितंबर से जेल भरो आंदोलन शुरू का निर्णय भी लिया गया था। लेकिन अब सरकार द्वारा दस दिनों में ई-रिक्शा को मंजूरी दिए जाने के बाद संघ नए सिरे से रणनीति बनाने में जुट गया है।अदालत के आदेश पर लगी थी रोकदिल्ली की सड़कों पर दिखाई देने वाले ई रिक्शाओं पर सर्वोच्च नयायालय ने अपने एक फैसले में प्रतिबंध लगा दिया था। कोर्ट के मुताबिक सड़क पर ई-रिक्शा चलने के लिए पर्याप्त नियम-कानून नहीं जिसके चलते उन पर नियमन नहीं हो पाता। साथ ही ई-रिक्शे की बनावट पर सवाल उठाते हुए कोर्ट ने इसे खतरा बताया था। अदालत ने दिल्ली में ई-रिक्शा चालकों द्वारा लगातार की जा रही दुर्घटनाओं को देखते हुए खुद ही इस मामले का संज्ञान लेते हुए फैसला सुनाया था। बाद में सरकार द्वारा ई-रिक्शा चालकों को राहत दिलाने के लिए अदालत में एक हलफनामा भी दाखिल किया गया, लेकिन न्यायालय ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए बिना नियम व कानून बनाए ई-रिक्शा परिचालान को मंजूरी देने से इनकार कर दिया। लेकिन प्रतिबंध के बाद रिक्शा चालकों ने फैसले का जबर्दस्त विरोध किया। उधर, राजनीतिक लाभ के चलते मामले का राजनीतिकरण भी कर दिया गया। कई तरह के दबावों के बीच केंद्रीय मंत्री ने यह फैसला लिया है।

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