नई दिल्ली ! दिल्ली में 15 वर्ष तक एकछत्र राज करने वाली पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने सोमवार को कहा, राष्ट्रीय राजधानी की राजनीति में अब उनकी कोई भूमिका नहीं होगी। लेकिन यदि पार्टी चाहे तो कांग्रेस कार्यसमिति में वह किसी भी पद पर काम करने के लिए तैयार हैं। कांग्रेस की वरिष्ठ नेताओं में एक श्रीमती दीक्षित ने बुजुर्ग कांग्रेसजनों और युवा ब्रिगेड में चल रहे तर्क वितर्क पर कहा, पार्टी के नेताओं को अपनी बात दल के भीतर कहनी चाहिए न कि जनता के बीच। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दिल्ली में सरकार बनाने के मुद्दे पर अपने बयान पर कायम रहते हुए श्रीमती दीक्षित ने कहा कि यदि भाजपा के पास संख्या बल है तो उसे विधानसभा में इसे सिद्ध करने के लिए मौका दिया जाना चाहिए।श्रीमती दीक्षित ने कहा कि उन्होंने तो एक दम साधारण सी संवैधानिक स्थिति पर अपना पक्ष रखा था। उन्होंने यह कहा था कि यदि भाजपा के पास संख्या बल है तो उसे सरकार बनाने का अवसर दिया जाना चाहिए। किसी ने मेरे बयान की वास्तविकता को नहीं देखा। बयान से कांग्रेस के खुद को अलग किए जाने के संबंध में श्रीमती दीक्षित ने मेरे बयान पर पार्टी नेताओं ने जो टिप्पणियां की मैं समझती हूं कि वह वास्तव में यह समझ नहीं पाए कि मैंने क्या कहा क्योंकि बाद में नेताओं ने अपने बयान में सुधार किया।केरल के राज्यपाल पद से इस्तीफा देने के मसले पर पहली बार बातचीत करते हुए श्रीमती दीक्षित ने कहा, केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार (राजग) इस मामले में जिस तरह से निपटी उससे उन्हें चोट पहुंची। उन्होंने कहा, व्यक्तिगत रुप से अधिक यह गर्वनर के पद का अपमान था। उन्होंने कहा कि यदि सभी राजनीतिक दल यह फैसला कर लें कि केन्द्र में सरकार बदलने पर राज्यपालों को पद छोड़ देना चाहिए तब अधिक अच्छा रहेगा और राज्यपाल की विदाई और प्रतिष्ठित ढंग से होगी।