• आरटीआई के दायरे में आएगी सीबीआई!

    नई दिल्ली ! देश को हिलाकर रख देने वाले 2जी स्पेक्ट्रम तथा कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले के आरोपियों से मिलने को लेकर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक रंजीत सिंह पर उंगली उठने के मद्देनजर जांच एजेंसी को सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के दायरे से बाहर करने के पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के फैसले पर सवाल खड़े होने लगे हैं। इस बीच भाजपा नेता डा. संबिद पात्रा ने इस बात के संकेत दिये हैं कि मोदी सरकार सीबीआई को आरटीआई के दायरे में फिर से ला सकती है। इतना ही नहीं सीबीआई को फिर से आरटीआई कानून के दायरे में लाने की मांग भी जोर पकडऩे लगी है। पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त सीआईसी शैलेश गांधी और आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष चंद्र अग्रवाल ने 2011 के सरकार के फैसले को पलटकर सीबीआई को फिर से आरटीआई के दायरे में रखने की मांग की है। ...

    नई दिल्ली !   देश को हिलाकर रख देने वाले 2जी स्पेक्ट्रम तथा कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले के आरोपियों से मिलने को लेकर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक रंजीत सिंह पर उंगली उठने के मद्देनजर जांच एजेंसी को सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के दायरे से बाहर करने के पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के फैसले पर सवाल खड़े होने लगे हैं।  इस बीच भाजपा नेता डा. संबिद पात्रा ने इस बात के संकेत दिये हैं कि मोदी सरकार सीबीआई को आरटीआई के दायरे में फिर से ला सकती है। इतना ही नहीं सीबीआई को फिर से आरटीआई कानून के दायरे में लाने की मांग भी जोर पकडऩे लगी है। पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त सीआईसी शैलेश गांधी और आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष चंद्र अग्रवाल ने 2011 के सरकार के फैसले को पलटकर सीबीआई को फिर से आरटीआई के दायरे में रखने की मांग की है। दरअसल आरटीआई कानून की दूसरी अनुसूची में उन संगठनों का उल्लेख किया गया है, जिन्हें आरटीआई कानून के दायरे से अलग रखा गया है। इस कानून की धारा 24 के तहत यह व्यवस्था की गई है कि दूसरी अनुसूची में शामिल खुफिया एजेंसियों और सुरक्षा एजेंसियों को आरटीआई के दायरे से बाहर रखा जाएगा। दुर्भाग्य से सीबीआई न तो खुफिया एजेंसी है, न सुरक्षा एजेंसी बल्कि यह जांच एजेंसी है। श्री अग्रवाल का कहना है कि इसके बावजूद इसे आरटीआई के दायरे से बाहर कर देना अप्रासंगिक है। उन्होंने आरटीआई के तहत मांगी गई एक जानकारी का उल्लेख करते हुए कहा है कि आरटीआई कानून के तहत दर्ज फाइल नोटिंग से यह खुलासा हुआ है कि सीबीआई ने खुद को आंशिक तौर पर इस कानून के दायरे से बाहर रखने का अनुरोध किया था लेकिन संप्रग सरकार ने इसे पूरी तरह से बाहर करने के लिए सत्ता का दुरुपयोग किया है।

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