• प्रशासन का यह कैसा रवैया?

    भले ही यह बात हवा में ही क्यों न उड़ी हो कि किसी कन्या आश्रम में किसी छात्रा का दैहिक शोषण हुआ है, प्रशासन को उसकी सच्चाई सामने लाना चाहिए। कोरिया जिले के सोनहत विकास खण्ड के रायगढ़ कन्या आश्रम की एक छात्रा के साथ इस तरह की घटना होने की शिकायत सामने आने के बाद प्रशासन ने छानबीन होना तो स्वीकार कर लिया, लेकिन वह हफ्तेभर में भी यह साफ नहीं कर सका कि छात्रा के साथ हुआ क्या है?...

    भले ही यह बात हवा में ही क्यों न उड़ी हो कि किसी कन्या आश्रम में किसी छात्रा का दैहिक शोषण हुआ है, प्रशासन को उसकी सच्चाई सामने लाना चाहिए। कोरिया जिले के सोनहत विकास खण्ड के रायगढ़ कन्या आश्रम की एक छात्रा के साथ इस तरह की घटना होने की शिकायत सामने आने के बाद प्रशासन ने छानबीन होना तो स्वीकार कर लिया, लेकिन वह हफ्तेभर में भी यह साफ नहीं कर सका कि छात्रा के साथ हुआ क्या है? कन्या आश्रम की ओर से कहा जा रहा है कि छात्रा बीमार थी इसलिए उसे एम्बुलेंस से ले जाकर उसके माता-पिता के हवाले कर दिया गया जबकि शिकायत में कहा जा रहा है कि आश्रम में रहने के दौरान 10 वीं कक्षा की छात्रा का दैहिक शोषण हुआ और जब उसके गर्भवती होने का पता चला तो उसका गर्भपात कराकर उसके घर छोड़ दिया गया। यह घटना 2 जनवरी की बताई जा रही है, लेकिन शिकायत कई दिन बाद सामने आई। यह ऐसा कोई मामला नहीं है, जिसकी हकीकत सामने लाने में इतनी देर लगे, जितनी लगाई जा रही है। यदि शिकायत बेबुनियाद है तो प्रशासन को पूरे सबूत के साथ इसे सार्वजनिक कर देना चाहिए था। इसमें जितनी देर होगी उतनी प्रकार की बातें होती रहेंगी। अगर शिकायत सही है तो दोषियों को दंड दिलाने की कार्रवाई में भी विलम्ब नहीं होना चाहिए। शिकायत को इसलिए भी बल रहा है कि छात्रा को उसके घर कैसे पहुंचा दिया गया। आश्रमों में किसी छात्रा के बीमार होने पर उसे घर नहीं बल्कि अस्पताल पहुंचाया जाना चाहिए या और उसकी सूचना उसके परिवारों को देना चाहिए था। कन्या आश्रम मेें रहने वाली छात्रा के साथ इस तरह की घटना होती है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी आश्रम अधीक्षिका की होती है। कांकेर के झलियामारी आश्रम की घटना के मामले में भी यही हुआ और प्रशासन ने मामले में संवेदनशीलता दिखाते हुए दोषियों के खिलाफ कानूनी व विभागीय कार्रवाई करने में देर नहीं लगाई। इस बहुचर्चित मामले के सामने आने के बाद ऐसे आश्रमों की सुरक्षा बढ़ाने के बाद भी अगर ऐसी कोई घटना होती है तो निश्चय ही यह बहुत गंभीर मामला है। प्रशासन को इसकी गंभीरता को समझना चाहिए और ऐसा रवैया अख्तियार नहीं करना चाहिए, जिससे अफवाहों को बल मिले। यह सिर्फ एक नाबालिग छात्रा की अस्मिता का मामला ही नहीं है बल्कि समाज की अस्मिता का भी है। इस मुद्दे पर यदि प्रशासन अपनी जिम्मेदारियों के निर्वहन में कोताही बरत रहा है तो शासन को उससे पूरी रिपोर्ट मांगनी चाहिए और उसे जल्द से जल्द सार्वजनिक किया जाना चाहिए।

अपनी राय दें