• फांसी की सजा पाने वाला दोषी रख सकेगा अपना पक्ष

    नई दिल्ली ! सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि ऐसे मामलों में जहां मृत्युदंड की सजा को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बरकरार रखा जाता है, दोषी के पास यह अधिकार होगा कि मृत्युदंड के फैसले पर पुनर्विचार से संबंधित उसकी याचिका पर सुनवाई तीन न्यायाधीशों की खंडपीठ एक खुली अदालत में करे। इसके लिए दोषी को आधे घंटे का समय दिया जाएगा। ...

    मृत्युदंड पाने वाला दोषी अदालत द्वारा खारिज की गई पुनर्विचार याचिका पर दोबारा तीन न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष खुली अदालत में सुनवाई की अपील कर सकता है और उसे न्यायालय में अपनी बात रखने के लिए आधे घंटे का वक्त दिया जाएगा :     सर्वोच्च न्यायालयनई दिल्ली सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि ऐसे मामलों में जहां मृत्युदंड की सजा को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बरकरार रखा जाता है, दोषी के पास यह अधिकार होगा कि मृत्युदंड के फैसले पर पुनर्विचार से संबंधित उसकी याचिका पर सुनवाई तीन न्यायाधीशों की खंडपीठ एक खुली अदालत में करे। इसके लिए दोषी को आधे घंटे का समय दिया जाएगा। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने कहा कि मृत्युदंड पाने वाला दोषी अदालत द्वारा खारिज की गई पुनर्विचार याचिका पर दोबारा तीन न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष खुली अदालत में सुनवाई की अपील कर सकता है और उसे न्यायालय में अपनी बात रखने के लिए आधे घंटे का वक्त दिया जाएगा। हालांकि उसे ऐसे ही मामलों में खारिज की गई पुनर्विचार याचिका पर दोबारा तीन न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष खुली अदालत में सुनवाई की अपील करने का अधिकार होगा, जिसमें न्यायालय ने मौत की सजा पर मुहर नहीं लगाई हो। जिन मामलों में क्यूरेटिव पिटीशन पर पहले ही सुनवाई हो चुकी होगी, वहां दोषी को इस विकल्प का लाभ नहीं मिलेगा। संवैधानिक पीठ का यह फैसला सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मृत्युदंड को बरकरार रखने के बाद फैसले पर पुनर्विचार की याचिकाओं पर गौर करने के बाद आया, जिसमें दोषियों ने खुली अदालत में तीन न्यायाधीशों के समक्ष याचिका की दोबारा सुनवाई की अपील की थी। अब तक मृत्युदंड के फैसलों पर पुनर्विचार याचिका पर न्यायाधीश अपने चैंबर में सुनवाई करते थे।

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