आईआरसीटीसी में सारदा समूह की ट्रैवल एजेंसी को अनुबंधित करने पर बवाल नई दिल्ली ! रेलवे के उपक्रम भारतीय रेल खानपान एवं पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) द्वारा पश्चिम बंगाल की चिटफंड कंपनी सारदा समूह की ट्रैवल एजेंसी को पर्यटन सेवाओं के लिए अनुबंधित किए जाने की खबरों से राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया। अब घोटाले की आंच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तक पहुंचती दिख रही है। मिल रही सूचनाओं के मुताबिक, मामले की जांच कर रही सीबीआई ने इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईआरसीटीसी) और सारदा गु्रप के बीच तार जुड़े होने का खुलासा किया है। सारदा गु्रप और आईआरसीटीसी के बीच एक अनुबंध उस समय हुआ जब ममता बनर्जी रेल मंत्री थीं। पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व रेल राज्य मंत्री अधीर रंजन चौधरी ने राज्य के मीडिया में ऐसी खबरों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इस मामले में सीबीआई से यह जांच कराने की मांग की कि कहीं सारदा टूर्स एंड ट्रैवल्स को विभिन्न स्थानों पर पर्यटन सेवाओं के लिए आईआरसीटीसी के नियम विरुद्ध अनुबंधित तो नहीं किया था। रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने कहा कि रेलवे आईआरसीटीसी सारदा टूर्स एंड ट्रैवल्स के बीच कथित अनुबंध मामले की कोई अलग जांच नहीं करेगा क्योंकि, सीबीआई सारदा समूह की सभी गतिविधियों की पहले से ही जांच कर रही है। सिन्हा ने कहा कि सीबीआई जांच में कानून अपना काम करेगा और जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। सीबीआई सारदा चिटफंड घोटाले की जांच कर रही है। सारदा समूह के मालिक की तृणमूल कांग्रेस प्रमुख एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से संपर्क के आरोप लगाए जाते रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस ने बनर्जी पर इस समूह से फायदा लेने के आरोपों का खंडन करते हुए किसी भी जांच का सामना करने को तैयार होने की बात कही थी। जबकि, तृणमूल कांग्रेस के महासचिव मुकुल राय ने यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा कि पहले सीबीआई को कांग्रेस ब्यूरो ऑफ इंवेस्टीगेशन के रूप में जाना जाता था। सीबीआई ने अपना चरित्र नहीं बदला है। पूर्व रेल मंत्री ने कहा कि सीबीआई कोई स्वायत्त संस्था नहीं है जो अपने काम अपने आप करे। सीबीआई एक राजनीतिक संगठन की तरह काम करती है। विपक्ष के सारदा समूह के स्वामित्व वाले श्रद्धा टूर्स एंड ट्रेवेल्स को आईआरसीटीसी द्वारा अनावश्यक रूप से लाभ पहुंचाने के विपक्ष के आरोपों के बारे में पार्टी का रुख पूछने पर राय ने अनभिज्ञता जताते हुए कहा कि मैं कुछ नहीं जानता। समझौता मेरे द्वारा जिम्मा संभालने से पहले हुआ था। वह समुचित निविदा प्रक्रिया के जरिए हुआ होगा। उन्होंने कहा कि कैग या रेलवे अंकेक्षण जैसे कई ऐसे संगठन हैं जो समझौते पर गौर कर सकते हैं।