• पश्चिम बंगाल को हाथियों का बंध्याकरण नहीं करने के निर्देश

    सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को उस रपट को गंभीरता से लिया, जिसमें पश्चिम बंगाल सरकार ने हाथियों के कारण होने वाली रेल दुर्घटनाओं को टालने के लिए हाथियों की संख्या कम करने के मद्देनजर गर्भ निरोधकों का इस्तेमाल करने का कदम उठाने का निर्णय लिया था। सर्वोच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति जे.चेलमेश्वर की पीठ ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, "अगर ऐसा होता है, तो यह पूरी तरह अनुचित और निंदनीय है।"...

    नई दिल्ली | सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को उस रपट को गंभीरता से लिया, जिसमें पश्चिम बंगाल सरकार ने हाथियों के कारण होने वाली रेल दुर्घटनाओं को टालने के लिए हाथियों की संख्या कम करने के मद्देनजर गर्भ निरोधकों का इस्तेमाल करने का कदम उठाने का निर्णय लिया था। सर्वोच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति जे.चेलमेश्वर की पीठ ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, "अगर ऐसा होता है, तो यह पूरी तरह अनुचित और निंदनीय है।"अदालत ने सरकार के कदम की निंदा करते हुए कहा, "पश्चिम बंगाल ऐसा नहीं करे, क्योंकि ऐसा करने से हाथियों या वन्य जीवों का प्रजनन रुकेगा और उनकी संख्या में कमी आएगी।" न्यायालय ने यह आदेश तेज गति से आने वाली रेलगाड़ियों से कटकर हाथियों की मौत रोकने के लिए रेलगाड़ियों के परिचालन को नियंत्रित करने के लिए निर्देश देने से संबंधित एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान झारखंड की ओर से पेश हुए वकील टी.के.सिंह के बयान पर दिया।


अपनी राय दें