इलाहाबाद ! इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आज प्रदेश में 13 हजार अतिरिक्त न्यायालय बनाने के अपने पूर्व के पारित आदेश को आज वापस ले लिया। उच्च न्यायालय के दो न्यायाधीशों की खण्डपीठ ने 11 जुलाई को विधि छात्रों की एक जनहित याचिका पर प्रदेश के विभिन्न जिलों में 13 हजार अतिरिक्त न्यायालय बनाने का राज्य सरकार को निर्देश दिया था। न्यायालय ने तीन माह के अंदर सभी 13 हजार अतिरिक्त न्यायालय बनाने का राज्य सरकार को निर्देश दिया था। सरकार ने इस आदेश को वापस लेने की मुख्य न्यायाधीश के समक्ष अर्जी दायर की थी। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चन्द्रचूड और न्यायमूर्ति दिलीप गुप्ता की खण्डपीठ ने राज्य सरकार की अर्जी पर दिया है। सरकार की तरफ से मुख्य स्थाई अधिवक्ता रमेश उपाध्याय ने कहा कि ह्यूमन राइट्स लॉ नेटवर्क के अधीन विधि छात्रों ने औरतों के उत्पीडऩ को लेकर पहले भी याचिकाएं दायर कर रखी हैं और इस कारण इस वर्षा जून में इसी लॉ नेटवर्क के अधीन इसी मामले को लेकर अन्य याचिका दायर करना अवैध है। न्यायालय ने सभी याचिकाओं को निस्तारित कर दी। सरकार की तरफ से बताया गया कि 13 हजार अदालतों का गठन तीन माह में करना असंभव है। न्यायालय के समक्ष छात्राओं की जनहित याचिका में न्यायालय के गठन का कोई मामला नहीं था। न्यायाधीश ने भी कहा कि संगम की घटना को लेकर प्राथमिकी दर्ज की गई थी। आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र भी दायर हो चुका है। न्यायाधीश ने कहा है कि औरतों के साथ भूत भगाने की घटनाओं को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जाए। संगम के आसपास के क्षेत्रों में इसे रोकने के लिए पर्याप्त पुलिस बल तैनात किये जाएं तथा सीसीटीवी कै मरा स्थापित किया जाए। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि ह्यूमन राइट्स लॉ नेटवर्क द्वारा एक ही मुद्दे को लेकर बार बार जनहित याचिका दायर करना कोर्ट के प्रक्रिया का दुरू पयोग है। गौरतलब है कि इसी मामले में पूर्व में न्यायालय ने प्रदेश के प्रमुख सचिव गृह. पुलिस महानिदेशक और अन्य पुलिस अधिकारियों को तलब किया था।