• दिग्विजय के बयान ने आग में घी का काम किया

    कांग्रेस में मचे कोहराम के बीच दिग्विजय के बयान पर भड़की कांग्रेस नई दिल्ली ! हार के कारणों को लेकर कांग्रेस में मचे कोहराम के बीच पार्टी महासचिव दिग्विजय सिंह के बयान ने आग में घी का काम किया है और इसकी आंच आज पार्टी के मंच से लेकर शीर्ष नेताओं के बीच भी महसूस की गई। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर चलाए गए दिग्विजय सिंह के तीर से आहत पार्टी ने उनके बयान को निजी राय बताकर खारिज कर दिया और सार्वजनिक रूप से बयानबाजी से बचने की सलाह दी। ...

    कांग्रेस में मचे कोहराम के बीचदिग्विजय के बयान पर भड़की कांग्रेस नई दिल्ली !   हार के कारणों को लेकर कांग्रेस में मचे कोहराम के बीच पार्टी महासचिव दिग्विजय सिंह के बयान ने आग में घी का काम किया है और इसकी आंच आज पार्टी के मंच से लेकर शीर्ष नेताओं के बीच भी महसूस की गई। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर चलाए गए दिग्विजय सिंह के तीर से आहत पार्टी ने उनके बयान को निजी राय बताकर खारिज कर दिया और सार्वजनिक रूप से बयानबाजी से बचने की सलाह दी। दूसरी ओर दस जनपथ के करीबी माने जाने वाले महासचिव मधुसूदन मिस्त्री ने श्री सिंह पर सीधा हमला बोल दिया और उन्हे सवालों के घेरे में खड़ा करते हुए पूछा कि पार्टी नेतृत्व से सीधी पहुंच रखने के बावजूद उन्हें मीडिया के सामने बोलने की क्या जरूरत थी। श्री सिंह ने हाल ही में एक इंटरव्यू में हार के कारणों के बारे में अपनी राय रखते हुए इस आशय का बयान दिया था कि राहुल गांधी को प्रमुख मुद्दों पर अधिक बोलना चाहिए था और अपनी उपस्थिति ज्यादा दर्ज करानी चाहिए थी।  पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने उनके इस बयान को खारिज करते हुए कहा, यह उनकी निजी राय हो सकती है पर यह न तो यह समय है और न ही उपयुक्त है कि हम सामूहिक रूप से कर्मनिष्ठ होकर पार्टी को मजबूत बनाने के बजाय एक दूसरे को सुझाव दें। पार्टी में पदाधिकारियों की एक उम्र तय करने की सलाह देने वाले पार्टी के एक अन्य महासचिव जर्नादन द्विवेदी का नाम लिए बगैर श्री मिस्त्री ने कहा, मेरी उम्र साठ हो या चालीस हो मुझे कोई पद देना या ना देना कांग्रेस अध्यक्ष का विशेषाधिकार होता है। वह प्रदर्शन, अनुभव और अन्य कई बातों के आधार पर वह यह निर्णय लेती हैं। ऐसे में उम्र की सीमा तय करने की बात ही कहां से उठती है। श्री मिस्त्री ने कहा, यह बात समझ से परे है कि जो लोग निर्णय प्रक्रिया में शामिल थे वे बाहर जाकर किसी तरह की बातें बोल रहे हैं। यही लोग इलेक्शन कमेटी में शामिल थे, उम्मीदवारों के नाम भी यही लोग तय कर रहे थे। अब वही लोग बाहर जाकर सवाल उठा रहे हैं। यह हैरानी की बात है।आम चुनाव में कांग्रेस की पराजय के बाद राहुल गांधी के नेतृत्व को लेकर राज्यों में निचले स्तर के नेताओं द्वारा गाहे बगाहे सवाल उठाए गए थे लेकिन उन आवाजों को अनुशासनहीनता के दायरे में लाकर दबा दिया गया था लेकिन अब राष्ट्रीय स्तर पर शीर्ष महासचिवों में इस मुद्दे पर घमासान छिड़ गया है।

अपनी राय दें