• खफा उच्चतम न्यायालय ने वकील पर ठोका 50 हजार का जुर्माना

    नयी दिल्ली ! बेवजह की जनहित याचिका (पीआईएल) दायर करके अदालत का समय जाया करने से खफा उच्चतम न्यायालय ने आज एक वकील को कड़ी डांट पिलाई और इसके लिए उस पर 50 हजार रुपये का आर्थिक जुर्माना भी लगाया। इतना ही नहीं. कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला मामले में उसी वकील को अनुचित टिप्पणी के लिए शीर्ष अदालत ने आड़े हाथों भी लिया।...

    अन्य मामले में भी मिली झिड़की नयी दिल्ली  बेवजह की जनहित याचिका (पीआईएल) दायर करके अदालत का समय जाया करने से खफा उच्चतम न्यायालय ने आज एक वकील को कड़ी डांट पिलाई और इसके लिए उस पर 50 हजार रुपये का आर्थिक जुर्माना भी लगाया। इतना ही नहीं. कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला मामले में उसी वकील को अनुचित टिप्पणी के लिए शीर्ष अदालत ने आड़े हाथों भी लिया।     मुख्य न्यायाधीश आर एम लोढा. न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति रोहिंगटन एफ नरीमन की खंडपीठ ने पेशे से वकील याचिकार्कता मनोहर लाल शर्मा को बेवजह पीआईएल दायर करने के लिए फटकार लगाई तथा नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मौत से संबंधित जानकारियों को सार्वजनिक किये जाने की .बेतुकी. मांग को लेकर उन पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।     न्यायालय ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि श्री शर्मा पीआईएल की आड़ में अदालत का समय लगातार जाया करता रहते हैं. इसलिए उन पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाता है। हालांकि याचिकार्कता के यह कहने पर कि वह इतनी बड़ी राशि नहीं दे पाएंगे. न्यायालय ने जुर्माने की राशि कम करके 50 हजार कर दी।       इतना ही नहीं कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला मामले में भी आज श्री शर्मा को मुख्य न्यायाधीश ने डांट पिलाई। श्री शर्मा ने भोजनावकाश के बाद सूचीबद्ध इस मामले में दलील दी कि जब न्यायालय ने सभी कोयला ब्लॉकों के आवंटन अवैध करार दिए हैं तो फिर इसमें निर्णय करने के लिए कुछ बाकी नहीं रह जाता। इस पर न्यायमूर्ति लोढा ने नाराजगी जताते हुए कहा कि यह बहुत ही आश्चर्यजनक है कि याचिकार्कता को यह पता हो जाता है कि अदालत क्या सोच रही है या क्या फैसला लेने जा रही है।     न्यायमूर्ति लोढा ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा ..बहुत ही आश्चर्य है कि आपको वह सब कुछ पता हो जाता है कि हम क्या चाहते हैं और क्या नहीं।.. इस पर श्री शर्मा ने अदालत से क्षमा याचना की। न्यायालय ने उन्हें डांट पिलाते हुए कहा कि शीर्ष अदालत में बहस के दौरान वह संजीदा व्यवहार करें। उल्टी टिप्पणी करने के बाद बात..बात में क्षमा याचना करना अनुचित है। श्री शर्मा ने अदालत को आश्वस्त किया कि वह भविष्य में इसका ख्याल रखेंगे।

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