• कोलगेट पर असमंजस में सर्वोच्च न्यायालय

    नई दिल्ली ! वर्ष 1993 से 2012 तक के सभी 218 कोयला ब्लॉकों के आबंटन को गैर कानूनी ठहरा चुका उच्चतम न्यायालय जब एक सितम्बर को 218 कोयला ब्लॉकों के भविष्य को लेकर फैसला सुनाएगा तो उसके समक्ष इधर कुआं उधर खाई जैसी स्थिति होगी। न्यायालय के समक्ष सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या वह सभी आबंटन रद्द करेगा। इस बात की संभावना जताई जा रही है कि जिन कोयला ब्लॉकों में काम शुरू नहीं हुआ है, वे जरूर रद्द किए जाएंगे। लेकिन जिन कोल ब्लॉकों में खनन कार्य शुरू हो चुका है उसे लेकर असमंजस की स्थिति है। बैंकिंग क्षेत्र से जुड़े सूत्रों की मानें तो सबसे ज्यादा नुकसान बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियों को भारी भरकम कर्ज देने वाले बैंकों को उठाना पड़ सकता है। इसमें अधिकतर सरकारी क्षेत्र के बैंक है। इनमें से अधिकतर कंपनियों को 1993 के बाद कोयला ब्लॉक आबंटित किए गए हैं। अगर इन ब्लॉकों का आवंटन रद्द होता है तो इसका बिजली उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। ...

    नई दिल्लीवर्ष 1993 से 2012 तक के सभी 218 कोयला ब्लॉकों के आबंटन को गैर कानूनी ठहरा चुका उच्चतम न्यायालय जब एक सितम्बर को 218 कोयला ब्लॉकों के भविष्य को लेकर फैसला सुनाएगा तो उसके समक्ष इधर कुआं उधर खाई जैसी स्थिति होगी। न्यायालय के समक्ष सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या वह  सभी आबंटन रद्द करेगा। इस बात की संभावना जताई जा रही है कि जिन कोयला ब्लॉकों में काम शुरू नहीं हुआ है, वे जरूर रद्द किए जाएंगे। लेकिन जिन कोल ब्लॉकों में खनन कार्य शुरू हो चुका है उसे लेकर असमंजस की स्थिति है।बैंकिंग क्षेत्र से जुड़े सूत्रों की मानें तो सबसे ज्यादा नुकसान बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियों को भारी भरकम कर्ज देने वाले बैंकों को उठाना पड़ सकता है। इसमें अधिकतर सरकारी क्षेत्र के बैंक है। इनमें से अधिकतर कंपनियों को 1993 के बाद कोयला ब्लॉक आबंटित किए गए हैं। अगर इन ब्लॉकों का आवंटन रद्द होता है तो इसका बिजली उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। 

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