कोच्चि | केरल के चिकित्सकों ने यहां अग्न्याशय-किडनी का संयुक्त प्रत्यारोपण किया, जो राज्य में इस तरह का पहला प्रत्यारोपण है। हालांकि देश में यह इस तरह का तीसरा प्रत्यारोपण है। यह बेहद जटिल ऑपरेशन पेशे से इंजीनियर 35 साल के एस. सैयद युनुस साहिर का किया गया, जो पलक्कड़ के रहने वाले हैं। उन्हें शरीर का यह महत्वपूर्ण अंग दिमागी तौर पर मृत घोषित 38 वर्षीय व्यक्ति ने दिया।प्रत्यारोपण के बाद साहिर अब आइसक्रीम खा रहे हैं और अमृता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) में दो सप्ताह रहने के बाद घर लौटने के लिए तैयार हैं। जठरांत्र सर्जरी विशेषज्ञ रामचंद्रन एन.मेनन ने आईएएनएस से कहा कि मरीज उनके पास दो माह पहले आया था, जिसके बाद उन्होंने उनकी कई जांच की और फिर सर्जरी का निर्णय लिया गया। लेकिन इसके लिए किसी अंगदानकर्ता की जरूरत थी, जिसके लिए इंतजार किया गया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की अंग मुहैया कराने वाली नोडल एजेंसी 'केरल नेटवर्क फॉर ऑर्गन शेयरिंग (केएनओएस)' ने अंग प्रत्यारोपण एवं दान के नियमों के मुताबिक, मरीज को दिमागी रूप से मृत घोषित व्यक्ति का अग्न्याशय एवं एक किडनी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।मेनन ने कहा, "केएनओएस से हमें जब यह सूचना मिली कि अग्न्याशय और एक किडनी उपलब्ध है, तो हमने साहिर से तुरंत अस्पताल में भर्ती होने के लिए कहा और 17 अगस्त को ऑपरेशन किया।" मेनन ने साहिर के बारे में बताया कि वह पिछले 19 साल से टाइप1 मधुमेह से पीड़ित थे, जिसकी वजह से उन्हें रेटिना में समस्या हो गई थी, उनकी किडनी भी खराब हो रही थी और पिछले दो वर्षो के दौरान उनकी किडनी पूरी तरह खराब हो गई थी। वह लगातार इंसुलिन ले रहे थे, इसके बावजूद उनका ब्लड शुगर नियंत्रित नहीं रहता था।उन्होंने बताया, "आज साहिर बिल्कुल सामान्य भोजन ले रहे हैं, उनकी दोनों किडनी सामान्य रूप से काम कर रही है और उन्हें इंसुलिन नहीं लेना पड़ रहा है। वह अपनी पसंदीदा आइसक्रीम खा रहे हैं, जो कभी उनके लिए निषिद्ध था। वह घर जाने की तैयारी कर रहे हैं।" इसी तरह का पहला किडनी-अग्न्याशय प्रत्यारोपण 1966 में अमेरिका में किया गया था।