• अंतागढ़ उप चुनाव में कांग्रेस को झटका,मंतूराम चुनाव मैदान से हटे

    रायपुर ! आज कांग्रेस को एक बड़ा झटका देते हुए अंतागढ़ विधानसभा उप चुनाव के घोषित प्रत्याशी मन्तूराम पवार ने अपना नामांकन पत्र वापस ले लिया। जिला निर्वाचन अधिकारी एवं कांकेर की कलेक्टर अलरमेल मंगई ने पत्रकारों से इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि कांग्रेस के घोषित प्रत्याशी मन्तूराम पवार ने अपना नाम वापस ले लिया। नामांकन पत्र वापस लेने का आज पहला दिन था। कल नाम वापस लेने की अन्तिम तिथि है।...

    रायपुर आज कांग्रेस को एक बड़ा झटका देते हुए अंतागढ़ विधानसभा उप चुनाव के घोषित प्रत्याशी  मन्तूराम पवार ने अपना नामांकन पत्र वापस ले लिया। जिला निर्वाचन अधिकारी एवं कांकेर की कलेक्टर अलरमेल मंगई ने पत्रकारों से इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि कांग्रेस के घोषित प्रत्याशी मन्तूराम पवार ने अपना नाम वापस ले लिया। नामांकन पत्र वापस लेने का आज पहला दिन था। कल नाम वापस लेने की अन्तिम तिथि है। राज्य कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों ने भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि उन्हे भी पवार के नाम वापस लेने की जानकारी मिली है। वह सभी  तथ्यों के बारे में पता कर रहे है। हालांकि उन्होने खबर में अपना नाम नही देने का भी अनुरोध किया।  अचानक हुए इस घटनाक्रम के बाद अंतागढ़ सीट से जहां अब कांग्रेस का कोई अधिकृत प्रत्याशी नही रह गया है। इस सीट के लिए कई अन्य दावेदारों के साथ ही पवार की पत्नी  का भी नाम चल रहा था और टिकट की प्रत्याशा में उन्होने अपना नामांकन कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में दाखिल किया था। नामांकन पत्रों की जांच में बी फार्म नही होने पर उनका नामांकन पत्र कल खारिज हुआ था। श्री पवार का नाम वापसी के पहले दिन वापस लेना यह साफ दर्शाता है कि उन्होने किसी तय रणनीति के तहत यह कदम उठाया ताकि कांग्रेस को प्रत्याशी बदलने का कोई मौका नही मिल सके और सत्तापक्ष के प्रत्याशी को इसका सीधा लाभ मिल सके।श्री पवार पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के काफी करीबी से थे लेकिन उन्होने इस बार उप चुनाव से पहले खेमा बदल लिया था और प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल के साथ हो गए थे। श्री जोगी के मना करने के बाद भी वह उप चुनाव में पार्टी प्रत्याशी बने थे। बघेल खेमा इसे अपनी एक बड़ी उपलब्धि मान रहा था। अंतागढ़ घुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र है। पवार लगातार तीन बार इस सीट से चुनाव हार चुके है इसके बाद भी उन्हे दमदार प्रत्याशी मान कर कांग्रेस ने मैदान में उतारा था। राज्य के इतिहास में यह पहला मौका है जब किसी राजनीतिक दल के प्रत्याशी ने नाम वापसी कर अपने दल को धोखा दिया है। कुछ राजनीतिक जानकार इसे कांग्रेस की गुटबाजी से जोड़कर देख रहे है तो कुछ इसको सत्तारूढ़ भाजपा की रणनीति का हिस्सा मान रहे है। वहीं पर कांग्रेस को राजनीतिक रूप से कांग्रेस को ऐसा करारा झटका लगा है जिससे उबरने में उसे काफी समय लगेगा।मंतु के नाम वापस लेने की खबर मिली है किंतु चुनाव में बाकी लोग मैदान में है इसलिये चुनाव तो लडऩा ही होगा।भरत मटियारा, भाजपा जिलाध्यक्षअंतागढ़ के अधिकृत प्रत्याशी मंतुराम पवार के नाम वापस लेने की जानकारी मिली है। अभी तत्काल में कुछ नही कह सकता।नरेश ठाकुर, कांग्रेस जिलाध्यक्षपार्टी ने किया निष्कासित भूपेश बघेल की प्रतिष्ठा हुई धूमिलअंतागढ़ विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी मंतूराम पवार के नाम लेने से पार्टी को काफी तगड़ा झटका लगा है। उनके इस कदम से कांग्रेस की प्रतिष्ठा धूमिल हुई है। वहीं आम कांग्रेसजनों में काफी नाराजगी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने आनन-फानन में मंतूराम पवार को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। उसके ठीक एक दिन पूर्व उनका नाम वापस लेना राजनैतिक हल्कों में काफी चर्चा का विषय है। 13 सितम्बर को वहां मतदान होना है। उनके इस फैसले पर कांग्रेस ने कहा है, यह लोकतंत्र की हत्या है। कांग्रेस के लिए यह काफी मुश्किल समय है। प्रत्याशी के चुनाव मैदान से हटने पर भाजपा को इसका फायदा मिल सकता है। उप चुनाव में अब पार्टी के सामने प्रश्न यह है कि वह किसी अन्य का समर्थन करेगी या भाजपा को वॉक ओवर देगी। पार्टी इस संबंध में शीघ्र फैसला लेगी।अंतगढ़ उपचुनाव में नामांकन वापस लेकर पवार ने सभी को चांैका दिया है। उनके इस अप्रत्याशित फैसले की उम्मीद किसी को नहीं थी। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने पूर्व में ही पवार को चुनाव लड़ाने से मना किया था। पार्टी ने कार्यकर्ताओं से रायशुमारी के बाद उन्हें प्रत्याशी बनाया था। प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल के इस निर्णय को लेकर अब पार्टी के नेता ही सवालिया निशान लगा रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद भूपेश के नेतृत्व में यह पहला चुनाव था, लिहाजा उनकी प्रतिष्ठा इस चुनाव में दांव पर लगी थी। लेकिन भाजपा के रणनीतिकारों ने कांग्रेस की आपसी गुटबाजी का फायदा उठाया। सूत्रों की मानें तो मंतूराम के नाम वापस लेने में पार्टी के ही एक बड़े नेता की काफी अहम् भूमिका है। प्रदेश अध्यक्ष से इस नेता के बीच संबंध मधुर नहीं है। पवार के नाम वापस लेने से भूपेश बघेल की प्रतिष्ठा धूमिल हुई है। उन्होंने किस आधार पर अंतागढ़ में मंतूराम पर दांव लगाया था, अब उन्हें केन्द्रीय नेतृत्व को सफाई देनी पड़ रही है।पूर्व में विधायक रहे श्री पवार को पार्टी ने दो बार पुन: अंतागढ़ से प्रत्याशी बनाया था, वे काफी कम मतों से चुनाव हारे थे। उपचुनाव लडऩे की उनकी इच्छा नहीं थी। कार्यकर्ताओं से रायशुमारी के बाद उनका नाम तय करना बताया जा रहा है। अंतागढ़ में पार्टी ने किसी भी प्रत्याशी का नामांकन नहीं भराया है। ऐसी स्थिति में पवार के नाम वापस लेने के बाद कांग्रेस के पास कोई विकल्प नहीं बचा है।कांग्रेस किसी का समर्थन नहीं करेगी : सिंहदेवनेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने अंतागढ़ के कांग्रेस प्रत्याशी मंतूराम पवार के द्वारा नाम वापस लिए जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए  कहा- यह फैसला काफी अप्रत्याशित है। लंबी चर्चा के बाद पार्टी ने मंतू का नाम टिकट के लिए तय किया था। पवार के चुनाव नहीं लडऩे व नाम वापस लेने से वे काफी दु:खी हैं। उन्होंने कहा- नाम क्यों वापस लिया, इसकी वजह मंतू ही बता सकते हैं। एक सवाल के जवाब में श्री सिंहदेव ने कहा- अंतागढ़ उपचुनाव में कांग्रेस किसी भी पार्टी का समर्थन नहीं करेगी।कांग्रेस के लिए बड़ा झटका : जोगीअंतागढ़ विधानसभा उप चुनाव में मंतूराम पवार के नाम वापस लेने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने कहा- इससे उन्हें भी आघात लगा है। उनका यह कदम कांग्रेस    के लिए बड़ा झटका है। पवार का यह कदम मेरे लिए भी अकल्पनीय है। जोगी ने कहा- पवार को पार्टी छोड़कर नहीं जाना था। जिन हालातों में मंतू ने यह कदम उठाया, वे ही बेहतर बता सकते हैं।लोकतंत्र की हत्या : त्रिवेदीमंतूराम पवार के नामांकन वापसी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस ने कहा कि सारी गुटबाजी को दरकिनार कर कार्यकर्ताओं से रायशुमारी कर मंतूराम पवार को कांग्रेस ने  अपना प्रत्याशी बनाया था। प्रदेश कांग्रेस महामंत्री शैलेष त्रिवेदी ने कहा- यह लोकतंत्र की हत्या हैं। पूरे देश के चुनाव परिणाम कांग्रेस के पक्ष में आ रहे थे। जनता की अदालत में जाने से भाजपा डर गई।प्रदेश भर में कांग्रेस आज मुख्यमंत्री का पुतला फूंकेगीअंतागढ़ से कांग्रेस प्रत्याशी मंतूराम पवार के नामांकन वापस लेने के विरोध में पार्टी शनिवार को सभी जिला मुख्यालयों में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह   का पुतला जलाएगी। वहीं दूसरी ओर शुक्रवार को कांग्रेसियों ने जयस्तंभ चौक पर चक्काजाम करने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस ने वहां से कांग्रेसियों को खदेड़ दिया। कांग्रेस ने इसे लोकतंत्र की हत्या करार देते हुए कहा- इसके लिए मुख्यमंत्री जिम्मेदार हैं।प्रदेश कांग्रेस ने शुक्रवार को सभी जिला कांग्रेस अध्यक्षों को दूरभाष पर निर्देश जारी कर प्रदेश भर में मुख्यमंत्री का पुतला दहन करने का निर्देश दिया है। जिलाध्यक्षों से कहा गया है कि वे सुविधानुसार समय का चयन कर प्राथमिकता के आधार पर यह कार्य करें।

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