• चीन के सस्ते इस्पात से संकट में भारतीय इस्पात

    मॉस्को ! भारत सरकार अपने घरेलू इस्पात निर्माताओं को चीन के सस्ते इस्पात के आयात से मिलने वाली कड़ी चुनौती से बचाने की कोशिश कर रही है। भारत के इस्पात मंत्रालय ने सरकार के सामने यह प्रस्ताव रखा है कि चीनी इस्पात और इस्पात से बनी चीजों पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाकर दोगुनी कर दी जाए ताकि चीन भारतीय बाजार को इस्पात से बने अपने सस्ते उत्पादों से पाट न सके। इस प्रस्ताव के पीछे नरेंद्र मोदी का अपने चुनाव अभियान के दौरान किया गया वह वायदा भी है जिसमें उन्होंने सरकार और व्यावसायिकों के बीच सहयोग को मजबूत बनाने की बात की थी।...

    चीन के इस्पात पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाकर दोगुनी करने की जरूरतमॉस्को भारत सरकार अपने घरेलू इस्पात निर्माताओं को चीन के सस्ते इस्पात के आयात से मिलने वाली कड़ी चुनौती से बचाने की कोशिश कर रही है। भारत के इस्पात मंत्रालय ने सरकार के सामने यह प्रस्ताव रखा है कि चीनी इस्पात और इस्पात से बनी चीजों पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाकर दोगुनी कर दी जाए ताकि चीन भारतीय बाजार को इस्पात से बने अपने सस्ते उत्पादों से पाट न सके। इस प्रस्ताव के पीछे नरेंद्र मोदी का अपने चुनाव अभियान के दौरान किया गया वह वायदा भी है जिसमें उन्होंने सरकार और व्यावसायिकों के बीच सहयोग को मजबूत बनाने की बात की थी। भारत के इस्पात उत्पादक भारत सरकार से लगातार यह मांग कर रहे हैं कि चीनी इस्पात के बढ़ते आयात को कम करने के लिए कुछ किया जाना चाहिए और इसका एक ही रास्ता है कि इस्पात पर लगा आयात कर वर्तमान साढ़े सात प्रतिशत से बढ़ाकर पन्द्रह प्रतिशत कर दिया जाए। चीनी इस्पात कम्पनियों द्वारा अपनाई जानी वाली भारतीय बाजार को अपने माल से पाटने की नीति पर भारतीय इस्पात उत्पादकों की यह स्वाभाविक प्रतिक्रिया है। भारत का इस्पात उद्योग भी काफ ी मजबूत है और वह दुनिया में तीसरे, चौथे नंबर पर आता है। कहा जाता है कि विवाद से ही सवाल पैदा होते हैं। पिछले कुछ महीनों से दुनिया के इस्पात बाजार में भारी मंदी का दौर चल रहा था। अब बाजार ने उठना शुरू किया है। ऐसी परिस्थिति में बहुत से देशों की सरकारें अपने इस्पात उद्योग को सहारा दे रही हैं। भारत की इस्पात कम्पनियों को भी सरकार से यह सहारा और सहायता पाने का हक है लेकिन चीनी कंपनियां जिस तेजी से सक्रिय हुई हैं और उन्होंने बाजार पर हावी होने की जो रणनीति अपनाई है, उससे भारत के घरेलू इस्पात उत्पादकों को कड़ी चुनौती मिल रही है। विगत जुलाई माह में चीन से इस्पात के आयात में शत-प्रतिशत वृद्धि हो गई और हॉट रोल्ड प्लेट स्टील का आयात तो 460 प्रतिशत बढ़ गया है। भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड (सेल) के अध्यक्ष सीएस वर्मा ने यह स्वीकार किया है कि चीन इस्पात के उन्हीं उत्पादों का भारत को निर्यात कर रहा है जिनका इस्तेमाल भवन निर्माण या बुनियादी ढांचा निर्माण के क्षेत्र में किया जाता है। चीन पिछले कई वर्षों से अपने इस्पात उत्पादों का उत्पादन बढ़ाकर दोगुना करने की नीति चला रहा था। अब चीन अपने इस बढ़े हुए उत्पादन को दुनियाभर में बेचने की कोशिश कर रहा है लेकिन दुनिया में इस्पात की मांग नहीं बढ़ रही है इसलिए वह अपने उत्पादों से बाजारों को पाटने की कोशिश कर रहा है। अत: भारत को अपने घरेलू इस्पात उत्पादकों को बचाने के लिए क दम उठाने ही पड़ेंगे। इसके अलावा भारत सरकार अब जो भी क दम उठाएगी उसका राजनीतिक महत्व भी होगा। नरेंद्र मोदी हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री बने हैं।  --- 

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