• मानव तस्करों के चंगुल से छुड़ाए 400 पीडि़त

    गुवाहाटी ! असम पुलिस ने साल 2011 से अब तक मानव तस्करी के 422 पीडि़तों को तस्करों के चंगुल से छुड़ाया है और मामले में 281 लोगों को गिरफ्तार भी किया है। पीडि़तों में ज्यादातर नाबालिग हैं। क्रिमिनल इंवेस्टीगेशन डिपार्टमेंट (सीआईडी) ने पूर्वोत्तर राज्यों में मानव तस्करी की समस्या पर प्रकाश डालते हुए यह जानकारी दी। ...

    गुवाहाटीअसम पुलिस ने साल 2011 से अब तक मानव तस्करी के 422 पीडि़तों को तस्करों के चंगुल से छुड़ाया है और मामले में 281 लोगों को गिरफ्तार भी किया है। पीडि़तों में ज्यादातर नाबालिग हैं। क्रिमिनल इंवेस्टीगेशन डिपार्टमेंट (सीआईडी) ने पूर्वोत्तर राज्यों में मानव तस्करी की समस्या पर प्रकाश डालते हुए यह जानकारी दी। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2011 में मानव तस्करी का शिकार हुए 93 लोगों में से 36 नाबालिग थे और इनमें से 28 लड़कियां थीं। यह आंकड़ा 2013 में बढ़कर 188 हो गया और इनमें से 18 साल से नीचे की 94 लड़कियां शामिल थीं। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (सीआईडी) मुकेश सहाय ने कहा, पूरा पूर्वोत्तर क्षेत्र महिलाओं और बच्चों की तस्करी का मुख्य केंद्र है। गुवाहाटी तो मानव तस्करी का गढ़ बन गया है। उन्होंने कहा कि यहां ज्यादातर लोग मानव तस्करों का शिकार बनते हैं, जब वे हिंसाजनित गरीबी, जातीय संघर्ष और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं की वजह से क्षेत्र से बाहर जाते हैं। पुलिस अधिकारियों ने कहा कि कई लड़कियों और बच्चों को मुंबई, हरियाणा, चेन्नई और सिलीगुड़ी से छुड़वाया गया है। सहाय ने कहा, लड़कियों की जहां वेश्यावृति धंधे के लिए तस्करी होती है, वहीं छोटे लड़कों को सस्ते बाल मजदूर के रूप में ले जाया जाता है। उन्होंने कहा कि महिलाओं और बच्चों को काम दिलाने का झांसा देकर ले जाया जाता है और बड़े शहरों में चकलों, स्पा केंद्रों ओर ब्यूटीपार्लरों में बेच दिया जाता है। उन्होंने कहा कि हरियाणा से कई महिलाओं को छुड़वाया गया, जहां गिरते लैंगिक अनुपात के कारण लड़कियों की मांग ज्यादा है। असम में इस समय 14 मानव तस्करी निरोधी इकाइयां काम कर रही हैं, जिनमें से एक गवर्नमेंट रेलवे पुलिस (जीपीआर) से जुड़ी हुई है। सहाय ने कहा, मानव तस्करी के पीडि़तों को छुड़वाने में बेहतर प्रदर्शन के लिए हमें 2012 में गृह मंत्रालय से दो लाख रुपए का पुरस्कार दिया गया था, लेकिन हमें अपराधियों को सजा दिलवाने की कोशिश करनी है। कई पीडि़त न्यायालय में नहीं जाना चाहते इसलिए हम अपराधियों को सजा दिलाने में कामयाब नहीं हो पाते हैं। उन्होंने बताया कि हाल ही में मुंबई की एक फैक्ट्री से असम की 59 लड़कियों को छुड़वाया गया। हाल ही में यूनिसेफ के एक सर्वे में असम के छह जिलों सोनितपुर, धीमाजी, लखीमपुर, बक्सा, कोकराझार, उदलगुड़ी और कामरूप में मानव तस्करी की समस्या सबसे ज्यादा है।

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