• बीसीसीआई में 'बॉस' को लेकर घमासान

    नई दिल्ली ! रस्सी जल गई लेकिन बल नहीं गया यह मशहूर कहावत टीम इंडिया कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) पर मौजूदा समय में बिल्कुल सटीक बैठती है। इंग्लैंड दौरे में टेस्ट सीरीज में 1-3 से मिली शर्मनाक हार और रवींद्र जडेजा, जेम्स एंडरसन मामले में मुंह की खाने के बावजूद आलम यह है कि भारतीय टीम धोनी और बीसीसीआई पर इसका कोई असर नजर नहीं आ रहा है। भारतीय क्रिकेट की ये तीनों धुरी टीम के प्रदर्शन पर आत्ममंथन करने के बजाय इस बात पर उलझे हुए हैं कि टीम का बास कौन है। ...

    नई दिल्ली रस्सी जल गई लेकिन बल नहीं गया यह मशहूर कहावत टीम इंडिया कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) पर मौजूदा समय में बिल्कुल सटीक बैठती है। इंग्लैंड दौरे में टेस्ट सीरीज में 1-3 से मिली शर्मनाक हार और रवींद्र जडेजा, जेम्स एंडरसन मामले में मुंह की खाने के बावजूद आलम यह है कि भारतीय टीम धोनी और बीसीसीआई पर इसका कोई असर नजर नहीं आ रहा है। भारतीय क्रिकेट की ये तीनों धुरी टीम के प्रदर्शन पर आत्ममंथन करने के बजाय इस बात पर उलझे हुए हैं कि टीम का बास कौन है। भारत और इंग्लैंड के बीच ब्रिस्टल में वर्षा के कारण रद्द हुए पहले वनडे की पूर्व संध्या पर धोनी ने यह कहकर एक विवाद खड़ा कर दिया कि टीम इंडिया के बास कोच डंकन फ्लेचर हैं जबकि फ्लेचर को बीसीसीआई ने उनके पर कतरते हुए बेंच पर बैठा दिया है और पूर्व आलराउंडर रवि शास्त्री को टीम का नया निदेशक क्रिकेट नियुक्त कर दिया है। बीसीसीआई को अपने कप्तान का यह बयान इस कदर नागवार गुजरा है कि उसके एक अधिकारी ने इस पर जबरदस्त आपत्ति कर डाली है। खुद शास्त्री ने भी इस विवाद में कूदते हुए यह कह डाला है कि धोनी टीम इंडिया के बास हैं। बीसीसीआई के खिलाफ एकतरफा लड़ाई लड़ रहे क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार के सचिव आदित्य वर्मा तो यह तक मानते हैं कि चाहे एन श्रीनिवासन बोर्ड के अध्यक्ष पद से अलग क्यों न हो गए हों लेकिन भारतीय क्रिकेट में असली बास वही हैं। यह भी दिलचस्प है कि बीसीसीआई को टेस्ट सीरीज में टीम इंडिया की शर्मनाक हार ज्यादा नागवार नहीं गुजरी बल्कि उसे गुस्सा इस बात पर आया कि धोनी ने फ्लेचर को बास क्यों कहा और यह संकेत क्यों दिया कि टीम फलेचर के मार्गदर्शन में 2015 के विश्वकप में खेलेगी। इससे तो यही साफ होता है कि टीम विदेशी जमीन पर चाहे जितना भी हार जाए बीसीसीआई पर उसका कोई असर नहीं पड़ेगा। लेकिन यदि बीसीसीआई के क्षेत्राधिकार में दखल होता है तो बोर्ड को गुस्सा आ जाता है। इंग्लैंड का दौरा भारतीय क्रिकेट के लिए अब तक कई मायनों में शर्मिंदगी भरा रहा है। टेस्ट सीरीज की हार के अलावा बीसीसीआई को आलराउंडर रवींद्र जडेजा के मामले में भी आईसीसी के सामने मुंह की खानी पड़ी थी। जडेजा पर तो मैच फीस के 50 फीसदी का पहले जुर्माना हो गया लेकिन इसी मामले में इंग्लैंड के तेज गेंदबाज जेम्स एंडरसन साफ बरी हो गये। सबसे शक्तिशाली क्रिेकेट बोर्ड होने का दंभ रखने वाला भारतीय बोर्ड खुद को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का जैसे बास मानता है लेकिन एंडरसन-जडेजा मामले ने उसे धरातल पर ला दिया है। किसी को उम्मीद नहीं थी कि इस मामले में एंडरसन को कोई सजा नहीं होगी। टेस्ट सीरीज समाप्त हो जाने के बाद जब वह मामला निपट चुका था तो टीम इंडिया में बास रूपी नए विवाद ने कदम रखा है और अब यह एकदिवसीय सीरीज अपनी समाप्ति तक इस विवाद के आसपास झूलती रहेगी कि बास धोनी हैं या फ्लेचर या फिर रवि शास्त्री।

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