• एनएसईएल घोटाले में जिग्नेश शाह को जमानत

    मुंबई ! मुंबई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज (इंडिया) लिमिटेड के प्रमोटर जिग्नेश शाह को सशर्त जमानत दे दी। उन्हें 5,574 करोड़ रुपये के नेशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसईएल) घोटाले में गिरफ्तार किया गया था। तीन महीने से हिरासत में रहे शाह को पांच लाख रुपये की जमानत राशि और अगले आदेश तक हर सोमवार और गुरुवार को मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) के समक्ष उपस्थित होने की शर्त के साथ रिहा किया जाएगा।...

    मुंबई !  मुंबई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज (इंडिया) लिमिटेड के प्रमोटर जिग्नेश शाह को सशर्त जमानत दे दी। उन्हें 5,574 करोड़ रुपये के नेशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसईएल) घोटाले में गिरफ्तार किया गया था। तीन महीने से हिरासत में रहे शाह को पांच लाख रुपये की जमानत राशि और अगले आदेश तक हर सोमवार और गुरुवार को मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) के समक्ष उपस्थित होने की शर्त के साथ रिहा किया जाएगा।शाह को जमानत देते हुए न्यायमूर्ति ए.एम. थिप्से ने उन्हें पांच लाख रुपये की नकद जमानत राशि तत्काल भरने और दो सप्ताह के भीतर उतनी ही रााशि की जमानत पेश करने का निर्देश दिया।शाह को सात मई 2014 कोगिरफ्तार किया गया था। बाद में आपराधिक गबन, गोरखधंधा, आपराधिक षड़यंत्र, धोखाधड़ी, डराने-धमकाने तथा अन्य अपराध के आरोप लगाए गए।उन्हें गिरफ्तार इसलिए किया गया था, क्योंकि घोटाले में अपना धन गंवाने वाले 13 हजार निवेशकों में से अधिकतर ने शिकायत की थी कि जुलाई 2013 में एनएसईएल के सामने पैदा होने वाले संकट की जानकारी शाह को पहले से थी।शाह के वकील महेश जेठमलानी ने हालांकि तर्क दिया कि शाह को सन्निकट संकट की जानकारी नहीं थी और यह संकट एनएसईएल के कुछ कर्मचारियों और दलालों ने पैदा की थी।शाह ने तर्क दिया कि वह एनएसईएल के सिर्फ गैर-कार्यकारी निदेशक थे, इसलिए इसके दैनिक कार्यकलाप में शामिल नहीं थे।सेटलमेंट का संकट 31 जुलाई, 2013 को पैदा हुआ था, जब एनएसईएल को अपनी अधिकतर ट्रेडिंग गतिविधियों को निलंबित करना पड़ा था।शाह की गिरफ्तारी और जांच के बाद ईओडब्ल्यू ने चार अगस्त को 9,300 पन्नों को आरोप पत्र दाखिल किया, जिसमें अपराध में शाह की कथित संलिप्तता का ब्यौरा था।जून में महाराष्ट्र प्रीवेंशन ऑफ इनवेस्टर्स डिपॉजिट्स अधिनियम के समक्ष पेश की गई शाह की जमानत याचिका इस आधार पर रद्द कर दी गई थी कि उस समय जांच जारी थी और आरोपी सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकता था तथा मामले में गवाहों को प्रभावित कर सकता था।शाह ने उसके बाद मुंबई उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी, जिसने पुलिस के आरोप पत्र पर गौर करने के बाद उन्हें जमानत दे दी।

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