• एलओपी मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछे दो महत्वपूर्ण सवाल

    नयी दिल्ली ! उच्चतम न्यायालय ने लोकसभा में विपक्ष के नेता (एलओपी) के पद को लोकपाल कानून के तहत अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए आज कहा कि इस पद पर नियुकि्त को लंबे समय तक लटकाये नहीं रखा जा सकता है। शीर्ष अदालत ने इस पर केन्द्र को नोटिस जारी करके चार सप्ताह में जवाब देने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई नौ सितंबर को होगी। ...

    नयी दिल्ली  !  उच्चतम न्यायालय ने लोकसभा में विपक्ष के नेता (एलओपी) के पद को लोकपाल कानून के तहत अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए आज कहा कि इस पद पर नियुकि्त को लंबे समय तक लटकाये नहीं रखा जा सकता है।     शीर्ष अदालत ने इस पर केन्द्र को नोटिस जारी करके चार सप्ताह में जवाब देने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई नौ सितंबर को होगी।     न्यायालय ने अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी से पूछा कि अगर सरकार विपक्ष के नेता के मुद्दे का समाधान करने में नाकाम रही तो अदालत इस पद की व्याख्या कर सकती है जिसमें विपक्ष में सबसे बडे़ दल या समूह के नेता को यह पद देने की बात आ सकती है।शीर्ष अदालत ने कहा कि लोकसभा में विपक्ष का नेता पद अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। सदन में वह सरकार से इतर विचारों को प्रतिध्वनित करता है। अत: इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती है।     न्यायालय ने श्री रोहतगी से पूछा कि सरकार लोकपाल कानून को किस प्रकार से लागू करना चाहती है। लोकसभा में कोई न.न कोई तो विपक्ष का नेता होना चाहिये। अगर इस पद पर कोई नहीं हो तो इस स्थिति में लोकपाल कानून कैसे काम करेगा।     अटार्नी जनरल ने न्यायालय को बताया कि सरकार लोकपाल कानून के विभिन्न प्रावधानों की समीक्षा कर रही है और कुछ प्रावधान संशोधित करने की उसकी योजना भी है।

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