नयी दिल्ली ! हाथियों के लिए शिकारी की गोली से ज्यादा अब बिजली की तारों में दौडने वाला करंट जान का दुश्मन बना हुआ है और पिछले तीन सालों में 123 हाथी करंट लगने से मारे गए हैं। वन मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक देश के पिछले तीन वषा6 के दौरान ट्रेन से कटकर. करंट लगने से. शिकारी की गोली से और जहर से कुल 204 हाथी मारे गए। इसमें से सबसे ज्यादा 123 हाथी करंट लगने से असमय मौत के मुंह में चले गए। वर्ष 2011..12 में 78. वर्ष 2012..13 में 88 और 2013..14 में 38 हाथी मारे गए। तीन वर्ष के दौरान कुल 123 हाथी करंट लगने से. 42 ट्रेन से कटकर और 19 जहर से मारे गए जबकि 20 हाथियों को शिकारियों ने निशाना बनाया। पिछले तीन वर्ष के दौरान दक्षिण राज्य र्कनाटक में सबसे ज्यादा 32 हाथी करंट लगने से मारे गए। राज्य में वर्ष 2011..12 में 15. वर्ष 2012..13 में 14 और 2013..14 में तीन हाथी हाई वोल्टेज तारों में उलझने से मारे गए। ओडिशा में इस दौरान 29 और पूर्वोत्तर राज्य में 18 हाथी करंट लगने से अकाल मृत्यु का शिकार बने। पश्चिम बंगाल में ट्रेन से कटकर सबसे ज्यादा 16 हाथी मारे गए। राज्य में वर्ष 2011..12 में तीन. वर्ष 2012..13 में चार और 2013..14 में नौ हाथी तेज रफतार ट्रेनों की चपेट में आकर मारे गए। इस मामले में ओडिशा दूसरे नंबर पर है जहां कुल 13 हाथी ट्रेन से कटकर मारे गए।शिकारियों द्वारा हाथियों को मारे जाने और उनकी जहर से मौत के मामले में ओडिशा पहले नंबर पर है। राज्य में पिछले तीन सालों में कुल दस हाथी शिकारियों के हाथों मारे गए जबकि आठ हाथियों की जहर से मौत हुई। असम में इस दौरान जहर से कुल सात हाथी मारे गए। वन मंत्रालय का का कहना है कि हाथियों के संरक्षण के लिए उसने रेल मंत्रालय के साथ मिलकर सभी संबंधित राज्यों को आवश्यक दिशा निर्देश भेजकर एहतियाती कदम उठाने को कहा है कि ताकि हाथियों के ट्रेन से टकराने की घटनाों को रोका जा सके। इनमें रेल पटरी के दोनों तरफ पेड पौधों को हटाने. हाथियों के गुजरने के लिए ओवरपास और अंडरपास बनाने. ट्रेन ड्राइवरों को पूर्व चेतावनी देने के लिए साइनबोर्ड लगाने. ट्रेन ड्राइवरों. गाडा6 और स्टेशन मास्टरों को जागरूक बनाने और रेल पटरियों से खानपान की वस्तुों को दूर रखने के उपाय करने को कहा गया है। हाथी को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की पहली अनुसूची में रखा गया है और जंगली हाथियों के संरक्षण के लिए देशभर में 32 संरक्षित क्षेत्र बनाए गए हैं। केंद्र सरकार प्रोजेक्ट एलिफेंट के लिए 1992 से संबंधित राज्यों को हाथियों के संरक्षण के लिए वित्तीय सहायता दे रही है। इस परियोजना के तहत पिछले तीन सालों में राज्यों को कुल 57.34 करोड रुपए दिए गए। वर्ष 2007 की गणना के मुताबिक देशभर के कुल 27657 से लेकर 27682 हाथी थे। साल 2012 की गणना के अनुसार यह संख्या 27785 से लेकर 31368 तक रहने का अनुमान है। इस रिपोर्ट का अभी इंतजार है।