• प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को नहीं मिलेगा डीजल-पेट्रोल

    नई दिल्ली ! प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर नकेल कसने के लिए दिल्ली सरकार ने तय किया है कि वह पहली अक्टूबर से ऐसे वाहनों को ईंधन नहीं देगा। इसके लिए बजाप्ता पेट्रोल और डीजल मुहैया करवाने वाली कंपनियों से बातचीत की जा चुकी है और तय हुआ है कि जिन वाहन चालकों के पास वैद्य प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र न हो उनके वाहनों में पेट्रोल पंप पर पेट्रोल अथवा डीजल न भरा जाए।...

    अनिल सागर उच्चाधिकार प्राप्त समिति की बैठक में लिया गया निर्णयनई दिल्लीप्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर नकेल कसने के लिए दिल्ली सरकार ने तय किया है कि वह पहली अक्टूबर से ऐसे वाहनों को ईंधन नहीं देगा। इसके लिए बजाप्ता पेट्रोल और डीजल मुहैया करवाने वाली कंपनियों से बातचीत की जा चुकी है और तय हुआ है कि जिन वाहन चालकों के पास वैद्य प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र न हो उनके वाहनों में पेट्रोल पंप पर पेट्रोल अथवा डीजल न भरा जाए। इस फैसले से दिल्ली के 80 लाख वाहन मालिकों की मुश्किलें बढऩी तय है।  यह फैसला वायु एवं जल प्रदूषण नियंत्रण के लिए उपराज्यपाल नजीब जंग द्वारा गठित की गई उच्चाधिकार प्राप्त समिति की बैठक में लिया गया। जानकारी के अनुसार, रजिस्टर्ड 80 लाख वाहनों में से दिल्ली में करीबन 30 से 40 लाख वाहन रोजाना सड़कों पर आते हैं। इसमें महज 12 से 15 लाख वाहनों के पास ही वैद्य प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र होते हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश व हरियाणा से भी हजारों वाहन रोजाना दिल्ली आते हैं। हालंाकि सरकार वाहन मालिकों को पहले सूचित करेगी और जागरुकता अभियान में एसएमएस द्वारा सूचना देगी। जागरुकता अभियान में बच्चों व इको क्लब का सहयोग भी लिया जाएगा। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, मुख्य सचिव एसके श्रीवास्तव की अध्यक्षता में गठित उच्चाधिकार समिति में तय हुआ है कि भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और इंडियन ऑयल के प्रमुखों को इससे अवगत करवाया जाए और पहली अक्टूबर से दिल्ली व दिल्ली आकर पेट्रोल, डीजल लेने वाले वाहनों को ईंधन देना बंद कर दिया जाए। इस येाजना पर अमल के लिए दिल्ली का परिवहन विभाग शीघ्र ही वैद्य प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र नहीं रखने वाले वाहनों की धरकपड़ शुरू कर देगा ताकि सभी वाहन इन 40 दिनों में प्रमाण पत्र ले सकेंगे। सरकार इसे सफल करने के लिए पेट्रोल पंप एसोसिएशन, परिहवन विभाग के अधिकारियों, पेट्रोलियम कंपनियों के अधिकारियों, वाहन मालिकों व स्कूली बच्चों के अलावा पर्यावरण विभाग का सहयोग लेगी। 

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