• योजना आयोग को बदलने पर टकराव ,विपक्ष ने नकारा

    नई दिल्ली ! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने जहां 64 वर्ष पुराने योजना आयोग के स्थान पर नया संस्थान बनाने की कवायद शुरू कर दी है वहीं विपक्षी दलों ने उनके इस कदम की आलोचना की है। मोदी ने नए संस्थान के बारे में मंगलवार को लोगों से सुझाव देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित संस्थान ऐसा हो जो 21वीं सदी के भारत की उम्मीदों को पूरा करे और राज्यों की भागीदारी को मजबूत करे।...

    सरकार बढ़ी आगे, विपक्ष ने नकारा नई दिल्लीप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने जहां 64 वर्ष पुराने योजना आयोग के स्थान पर नया संस्थान बनाने की कवायद शुरू कर दी है वहीं विपक्षी दलों ने उनके इस कदम की आलोचना की है। मोदी ने नए संस्थान के बारे में मंगलवार को लोगों से सुझाव देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित संस्थान ऐसा हो जो 21वीं सदी के भारत की उम्मीदों को पूरा करे और राज्यों की भागीदारी को मजबूत करे। नए संस्थान के बारे में सुझाव देने के लिए वेबसाइट एमवाईजीओवी डाट निक डाट इन पर एक विशेष खुला विचार मंच तैयार किया गया है। प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने देश के समग्र विकास के लिए 15 मार्च 1950 को योजना आयोग की स्थापना की थी और 1951 से इसने पंच वर्षीय योजना तैयार करना शुरू किया था। इस संस्था को समाप्त करने के मोदी के फैसले की कांग्रेस और माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कड़ी आलोचना की है। कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शर्मा ने कहा कि लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योजना आयोग को खत्म करने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि योजना आयोग के संविधान के अनुसार बनी एक संस्था है और देश के नियोजित विकास में इसका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। प्रधानमंत्री को यह निर्णय हड़बड़ी में लेने की बजाय इस पर व्यापक विचार विमर्श करना चाहिए था। माकपा ने भी योजना आयोग की जगह नई संस्था के गठन का विरोध करते हुए कहा कि इससे देश में निजी क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा तथा जनता के कल्याणकारी योजनाओं के लिए धन के आबंटन में कमी आएगी। माकपा पोलित ब्यूरो ने अपने बयान में कहा है कि प्रधानमंत्री ने राजनीतिक दलों से विचार- विमर्श किए बिना ही यह घोषणा की है। 

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