नई दिल्ली | डीजल की बिक्री पर तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) का घाटा एक रुपये से कम रह जाने के बीच गोल्डमैन सैक्स ने मंगलवार को एक अनुमान में कहा कि यदि कच्चे तेल का अंतर्राष्ट्रीय मूल्य 100 डॉलर प्रति बैरल के आसपास बना रहता है, तो सितंबर के बाद कंपनियों को हर महीने डीजल मूल्य बढ़ाने की जरूरत नहीं रह जाएगी। गोल्डमैन ने एक अनुमान में कहा कि सितंबर में मूल्य बढ़ाए जाने के बाद डीजल की प्रति लीटर बिक्री पर घाटा घटकर 30 पैसे रह जाएगा। कंपनी ने कहा, "इसका मतलब है कि अगले दो महीने में हम हर महीने डीजल मूल्य वृद्धि से मुक्ति पा सकते हैं और यह बाजार दर पर आधारित हो सकता है।"सरकार ने जनवरी 2013 को तेल विपणन कंपनियों को तब तक हर महीने प्रति लीटर डीजल मूल्य 40-50 पैसे बढ़ाने की अनुमति दी थी, जब तक कि घाटा बिल्कुल समाप्त न हो जाए। उसके बाद से 18 खेप में डीजल मूल्य कुल 11.24 रुपये प्रति लीटर बढ़ चुका है।16 अगस्त की तिथि के मुताबिक तेल विपणन कंपनियों को डीजल, रसोई गैस और मिट्टी तेल की बिक्री पर रोजाना 230 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। भारतीय बास्केट के तेल की कीमत सोमवार को प्रति बैरल 100.04 डॉलर दर्ज की गई। यह पिछले 14 महीने का निचला स्तर है। इराक में तनाव घटने और लीबिया में तेल उत्पादन बढ़ने तथा मांग कम रहने के कारण कच्चे तेल मूल्य में गिरावट दर्ज की गई है।