• विवादित लेख पर कोलंबो ने मोदी, जयललिता से माफी मांगी

    अपने रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर जारी एक लेख को लेकर श्रीलंका सरकार ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता से 'बिना शर्त माफी' मांग ली। विवाद मचने के बाद आनन-फानन में उसे हटा भी लिया गया। ...

    चेन्नई !  अपने रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर जारी एक लेख को लेकर श्रीलंका सरकार ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता से 'बिना शर्त माफी' मांग ली। विवाद मचने के बाद आनन-फानन में उसे हटा भी लिया गया। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि जैसे ही वेबसाइट पर लेख दिखा उसने 'तुरंत ही सक्रियता बरती' और कूटनीतिक चैनलों को सक्रिय कर दिया।श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर दिए गए बयान में कहा गया है, "हमारी वेबसाइट पर भारत के प्रधानमंत्री मोदी और तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता की ग्राफिक तस्वीर के साथ 'जयललिता के प्रेमपत्र मोदी के लिए कितने सार्थक हैं' शीर्षक लेख प्रकाशित हुआ।बयान में कहा गया है कि श्रीलंका सरकार या उसके रक्षा मंत्रालय से उपयुक्त अनुमति के बगैर ही प्रकाशित लेख को हटा लिया गया है।बयान में कहा गया है, "हम इसके लिए भारत के प्रधानमंत्री और तमिलनाडु की मुख्यमंत्री से बिना शर्त माफी मांगते हैं।"इससे पहले तमिलनाडु में जयललिता और अन्य राजनीतिक दलों ने श्रीलंका सरकार की खूब लानत मलामत की।जयललिता ने लेख के साथ छपी तस्वीरों को आपत्तिजनक, अपमानजनक और असम्मानजनक करार देते हुए केंद्र सरकार से श्रीलंका पर बिनाशर्त माफी मांगने का दबाव बनाने को कहा।शुक्रवार को मोदी को भेजे गए पत्र की प्रति मीडिया को जारी की गई है जिसमें जयललिता ने प्रधानमंत्री से विदेश मंत्रालय को श्रीलंका के उच्चायुक्त को बुलाकर लेख पर भारत की नाराजगी से अवगत कराने का निर्देश देने की गुजारिश की है।एक बयान में शुक्रवार को पट्टालि मक्कल काची (पीएमके) के संस्थापक एस. रामदास ने एक बयान में कहा, "लेख का शीर्षक और तस्वीर जिसमें पत्र लिखते समय जयललिता मोदी के बारे में सोच रही हैं, से लोगों में आक्रोश है।"रामदास ने कहा कि लेख का शीर्षक और तस्वीर आपत्तिजनक है और इसके लिए श्रीलंका सरकार की निंदा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जयललिता द्वारा मछुआरों के मुद्दों पर उठाए गए कदमों की श्रीलंकाई मीडिया द्वारा आलोचना की जाती, तो प्रेस की स्वतंत्रता के नाम पर इसे सही ठहराया जा सकता था। रामदास के मुताबिक, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता सुबह्मण्यम स्वामी की श्रीलंका यात्रा और तमिलों और तमिलनाडु के खिलाफ उनके दृष्टिकोण से ही श्रीलंका का हौसला बढ़ा और उसने ऐसा लेख प्रकाशित किया। एमडीएमके नेता वायको ने कहा कि लेख और तस्वीर श्रीलंका की विकृत मानसिकता को दर्शाता है। उन्होंने श्रीलंका से तमाम राजनयिक संबंध खत्म करने की भारत सरकार से मांग की।लेख में कहा गया है कि हाल ही में श्रीलंका पहुंचे भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी के नेतृत्व में उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने साफ किया था कि भारत-श्रीलंका के संबंधों के बीच तमिलनाडु नहीं आएगा। साथ ही उन्होंने भारतीय मछुआरों को छोड़ने के लिए श्रीलंका के राष्ट्रपति को धन्यवाद भी किया था।लेख में तमिलनाडु सरकार को सलाह दी गई है कि वह अपने मछुआरों की जीविका के लिए कोई और रास्ता तलाश करे। लेख में वाडुगे ने लिखा है, "जयललिता भारतीय प्रधानमंत्री की लोकप्रियता को नुकसान पहुंचाने के साथ ही दोनों राष्ट्रों की मित्रता में भी बाधा डाल रही हैं।"लेखिका ने लिखा है, "तमिलनाडु सरकार को जल्द ही इस बात का पता चल जाएगा कि नरेंद्र मोदी कोई कठपुतली नहीं, जो उनके नखरों और धमकियों पर नाचेंगे।"

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