• खाद्य सुरक्षा के स्थाई समाधान से कोई समझौता नहीं

    भारत ने दो टूक कहा है कि वह खाद्य सुरक्षा के स्थाई समाधान के साथ किसी प्रकार का समझौता नहीं करेगा लेकिन वैश्विक सीमा शुल्क नियमों को सरल बनाने वाले व्यापार सरलकीरण संधि.टीएफए. के लिए कटिबद्ध है। ...

    नयी दिल्ली ! भारत ने दो टूक कहा है कि वह खाद्य सुरक्षा के स्थाई समाधान के साथ किसी प्रकार का समझौता नहीं करेगा लेकिन वैश्विक सीमा शुल्क नियमों को सरल बनाने वाले व्यापार सरलकीरण संधि.टीएफए. के लिए कटिबद्ध है।    वाणिज्य सचिव राजीव खेर ने कहा.. विश्व व्यापार संगठन.डब्ल्यूटीओ. में अवकाश की वजह से हमारे पास काफी समय है और इस दौरान हम खाद्य सुरक्षा पर आगे की कार्रवाई की तैयारी करेंगे। हमारे प्रस्ताव डब्ल्यूटीों में विचाराधीन है और इसके समाधान के लिए हम लगातार कोशिश करते रहेंगे।..    जेनेवा में कल रात 160 सदस्यीय डब्ल्यूटीओ की बैठक में व्यापार सरलीकरण संधि पर कोई सहमति नहीं बन पाई।      श्री खेर ने कहा कि भारत इस संधि के लिए कटिबद्ध है और वह इससे पीछे नहीं हटेगा। हमने खाद्य सुरक्षा प्रस्ताव को डब्ल्यूटीओ के महानिदेशक के समक्ष रखा लेकिन इस पर कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकल पाया।पश्चिमी देशों द्वारा जिनेवा वार्ता की विफलता का आरोप भारत पर लगाने का खंडन करते हुए श्री खेर ने कहा कि इसमें आरोप प्रत्यारोप का सवाल ही पैदा नहीं होता और इसके लिए अंतिम समयसीमा 31 जुलाई नहीं थी जिसे आगे नहीं बढायी जा सकती है।     डब्ल्यूटीओ प्रमुख राबर्टो अजवेडो ने कल रात संगठन के राजदूत को बताया.. टीएफए के प्रावधानों को स्वीकार करने पर बने गतिरोध को दूर कर पाने में हम सक्षम नहीं पाए हैं। हालांकि हम इस पर सहमति बनाने के काफी करीब हैं।..     टीएफए को पारित करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई तय की गई थी और इसे जुलाई 2015 में लागू किया जाना है। भारत खाद्य सुरक्षा के स्थाई समाधान नहीं होने तक इसे स्वीकार नहीं करने पर अडिग है।     हालांकि अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि माइकल फारमैन ने कहा कि टीएफए पर सहमति नहीं बनने अमेरिका ने दुखद बताया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका बाली पैकेज के लागू करने के साथ खाद्य सुरक्षा के समाधान के लिए कटिबद्ध है। भारत ने व्यापार समझौता अवरूद्ध करने के अनेक कारण गिनाए    भारत ने विश्व व्यापार संगठन में कल कड़ा कूटनीतिक रूख अपनाया और बहुप्रतीक्षित विश्व व्यापार संधि का मार्ग अवरूद्ध कर दिया। उन्नीस वर्ष बाद अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में सुधार के लिए लायी गयी यह संधि दूसरे देशों के अंतिम क्षण प्रयास के बावजूद नहीं हो सकी।     इस संधि के प्रयास में जुटे दूसरे देशों के राजनयिकों ने भारत के रूख पर आश्चर्य व्यक्त किया और आत्मघाती बताया। उन्होंने भारत के रूख को तर्कहीन बताया। उन्होंने भारत के रूख के विरोध में अनेक कारण गिनाएं।     समझौता वार्ता में भारत का र्समथन क्यूबा. वेनेजुएला तथा बोलोविया ने र्समथन किया किन्तु दूसरे देशों ने इसका विरोध किया। समझौता नहीं होने से रूस. चीन. ब्राजील तथा भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान को नुकसान उठाना पड़ेगा।

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