• योगेश्वर और बबीता ने जीता सोना

    ओलंपिक कांस्य पदक विजेता योगेश्वर दत्त ने 65 किग्रा और महिला पहलवान बबीता कुमारी 55 किग्रा वर्ग में अपनी धमक दिखाते हुए भारत के लिए ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेलों फ्री स्टाइल कुश्ती प्रतियोगिता में गुरूवार को स्वर्ण पदक जीत लिए जबकि गीतिका जाखड़ ने 63 किग्रा वर्ग में रजत और पवन ने 86 किग्रा वर्ग में कांस्य पदक जीता। ...

     गीतिका जाखड़ को रजत व पवन को मिला कांस्य पदक कुश्ती में भारत ने पांच स्वर्ण सहित 13 पदकों पर किया कब्जा भारत ने मुकाबले में भेजे थे 14 पहलवानग्लास्गो !  ओलंपिक कांस्य पदक विजेता योगेश्वर दत्त ने 65 किग्रा और महिला पहलवान बबीता कुमारी 55 किग्रा वर्ग में अपनी धमक दिखाते हुए भारत के लिए ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेलों फ्री स्टाइल कुश्ती प्रतियोगिता में गुरूवार को स्वर्ण पदक जीत लिए जबकि गीतिका जाखड़ ने 63 किग्रा वर्ग में रजत और पवन ने 86 किग्रा वर्ग में कांस्य पदक जीता। योगेश्वर और बबीता के स्वर्ण पदकों से भारत की इन खेलों में स्वर्ण पदक संख्या 12 पहुंच गई। इसके साथ ही भारत के कुश्ती प्रतियोगिता के अंतिम दिन कुल पांच स्वर्ण पदक हो गए। सुशील कुमार, अमित कुमार और विनेश ने कुश्ती के पहले दिन तीन स्वर्ण पदक जीते थे। भारत को कुश्ती के दूसरे दिन चार रजत पदक हासिल हुए थे जबकि तीसरे दिन भारत ने दो स्वर्ण पदक, एक रजत और एक कांस्य जीता।भारत ने कुश्ती में इस तरह पांच स्वर्ण, छह रजत और दो कांस्य पदक जीते। भारत ने इन खेलों में 14 पहलवान उतारे जिनमें 13 ने पदक हासिल कर लिए। भारत की इन खेलों में अब पदक संख्या 13 स्वर्ण, 20 रजत और 14 कांस्य सहित कुल 46 पदक पहुंच चुकी है और वह पदक तालिका में छठें स्थान पर है। कुश्ती प्रतियोगिता के अंतिम दिन ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता योगेश्वर दत्त ने लंदन ओलंपिक जैसा लाजवाब प्रदर्शन करते हुए कनाडा के जेवोन बालफोर को 65 किग्रा वर्ग में जमीन सुंघा दी। बबीता ने महिलाओं के  55 किग्रा फ्रीस्टाइल मुकाबले में कनाडा की ब्रितानी लावेरदूरे को एक तरफा अंदाज में 9-2 से पीट दिया। गीतिका जाखड 63 किग्रा वर्ग के फाइनल में कनाडा की डेनियल लेपेज की श्रेष्ठता को चुनौती नहीं दे सकी और 0-7 से हार गई। पवन ने 86 किग्रा में पाकिस्तान के मोहम्मद इनाम को हराकर कांस्य पदक जीता। कुश्ती प्रतियोगिता के अंतिम दिन भारतीय पहलवानों के मुकाबलों को देखने के लिए भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह, भारतीय दल प्रमुख राज सिंह, द्रोणाचार्य अवार्डी महाबली सतपाल, आईओसी में भारत के प्रतिनिधि रणधीर सिंह, योगेश्वर के दोस्त और स्वर्ण पदक जीत चुके सुशील कुमार तथा कई अन्य भारतीय पहलवान और अधिकारी मौजूद थे। योगेश्वर ने फाइनल में कनाडाई पहलवान को टिकने का कोई मौका नहीं दिया। भारतीय पहलवान की तेजी और दावपेचों के आगे बालफोर मैट पर बस बेबस नजर आए। योगेश्वर ने पहले ही राउंड में एक के बाद एक दस अंक बटोरते हुए मुकाबला निपटा दिया। 31 वर्षीय योगेश्वर ने इससे पहले सेमीफाइनल  में श्रीलंका के चमारा परेरा को एकतरफा मुकाबले में पहले ही राउंड में 10 अंक लेकर जीत हासिल कर ली थी। क्वार्टरफाइनल में भी योगेश्वर ने स्काटलैंड के गैरेथ जोन्स को इसी तरह से पहले ही राउंड में 10 अंक बटोरकर निपटा दिया था। योगेश्वर ने इस तरह चार साल पहले दिल्ली में जीते अपने खिताब को बरकरार रखा।  स्वर्ण पदक जीतने के बाद योगेश्वर ने तमाम भारतीय अधिकारियों से मुलाकात की और फिर दर्शकों के बीच से गुजरते हुए अपने गुरू महाबली सतपाल के पास पहुंचे जिन्होंने अपने इस होनहार शिष्य को गले लगाकर आशीर्वाद दिया। द्रोणाचार्य अवार्डी सतपाल के तीन शिष्यों सुशील, योगेश्वर और अमित कुमार ने इन खेलों में स्वर्ण पदक जीत लिए है। उनके दो अन्य शिष्यों बजरंग ने रजत और पवन ने कांस्य पदक जीता।  बबीता ने 55 किग्रा फ्रीस्टाइल मुकाबले में कनाडा की ब्रितानी लावेरदूरे को एकतरफा अंदाज में 9-2 से हराकर स्वर्ण पदक जीत लिया। हरियाणा के भिवानी की 24 वर्षीय बबीता ने मुकाबले में शुरुआत से ही दबदबा बनाते हुए पहले राउंड में पांच अंक बटोर डाले। उन्होंने दूसरे राउंड में फिर चार अंक लेकर स्कोर 7-0 पहुंचा दिया। कनाडाई पहलवान ने फिर दो अंक लिए लेकिन बबीता ने जवाबी दाव लगाते हुए दो अंक लेकर मुकाबला 9-2 से समाप्त कर दिया। गीतिका जाखड से स्वर्ण पदक के लिए काफी उम्मीदें थी लेकिन वह कनाडाई पहलवान को कोई चुनौती नहीं दे सकी। भारत के लिए दिन का अंतिम मुकाबला पवन का था और वह कांस्य पदक के लिए पाकिस्तान के पहलवान मोहम्मद इनाम के खिलाफ उतरे। पवन ने पहले दो अंक लिए लेकिन फिर पाकिस्तानी पहलवान ने चार अंक बटोर कर बढत बना ली। दोनों पहलवानों ने कुल दो-दो अंक हासिल किए लेकिन इनाम 6-4 से आगे थे। पवन ने अपना आखिरी जोर लगाया और इनाम को अपने दाव में फंसाते हुए दो अंक बटोर कर स्कोर 6-6 से बराबर कर दिया। यही दो अंक अंत में निर्णायक साबित हुए जिसकी बदौलत पवन कांस्य बटोर ले गए।

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