• कैरी के समक्ष जासूसी का मुद्दा सख्ती से उठायेगा भारत

    भारत और अमेरिका के विदेश मंत्रियों के बीच कल होने वाले कूटनीतिक संवाद में भारत अपने राजनीतिज्ञों की जासूसी का मुद्दा सख्ती से उठायेगा जबकि अमेरिका विश्व व्यापार संगठन में व्यापारिक सुधारों के लिये भारत को राजी करने के लिये पूरा जोर लगायेगा। ...

    नयी दिल्ली  !   भारत और अमेरिका के विदेश मंत्रियों के बीच कल होने वाले कूटनीतिक संवाद में भारत अपने राजनीतिज्ञों की जासूसी का मुद्दा सख्ती से उठायेगा जबकि अमेरिका विश्व व्यापार संगठन में व्यापारिक सुधारों के लिये भारत को राजी करने के लिये पूरा जोर लगायेगा।     अमेरिका के विदेश मंत्री जान कैरी आज शाम नई दिल्ली पहुंचे। कल वह सबसे पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और रक्षा एवं वित्त मंत्री अरूण जेटली से मिलेगें। इसके बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ एक घंटे की द्विपक्षीय बैठक के बाद प्रतिनिधि मंडल स्तर की बैठक में भाग लेगें। श्रीमती स्वराज श्री कैरी के सम्मान में कल रात्रिभोज भी देगीं। शुक्रवार को सुबह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात के बाद वह वापस लौट जाएगें।     विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरूद्दीन ने आज यहां ब्रीफिंग में कहा कि विदेश मंत्रियों की बैठक में सुरक्षा. ऊर्जा. व्यापार. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी. मानव संसाधन विकास तथा क्षेत्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा होगी। यह पूछे जाने पर कि क्या भारतीय राजनेताों की जासूसी के मुद्दे पर भी बात होगी. प्रवक्ता ने कहा कि चूंकि जासूसी सुरक्षा से जुडा मामला है। चाहे वह साइबर जासूसी हो या अन्य किसी प्रकार की जासूसी। इस मामले को लेकर भारत में काफी नाराजगी है। इसलिये सुरक्षा के विषय पर चर्चा के दौरान इस मुद्दे के भी उठने की संभावना है। श्री अकबरूद्दीन ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच ..स्थिर एवं परिपक्व.. संबंध हैं। दोनों देश इन रिश्तों को आगे बढाना चाहते हैं। इस बैठक का ध्यान मुख्य रूप से आपसी रिश्तों में हमारे सहयोग के मुद्दों पर सामंजस्य को बढाना है। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने माना कि बैठक में प्रधानमंत्री की सितंबर में प्रस्तावित अमेरिका यात्रा के बिन्दुों को तय करने पर भी चर्चा होगी। उन्होंने कहा कि सरकार का ध्यान श्री मोदी की यात्रा के दौरान दोनों देशों के संबंधों में बडे परिवर्तन के लिये कुछ पहल किये जाने की संभावना पर केन्दि्रत है।     उधर अमेरिका ने श्री कैरी के भारत के लिये रवाना होने के पहले कहा कि भारत अन्तर्राष्ट्रीय व्यापारिक सुधार का विरोध छोडे तथा व्यापार बढाने एवं पूंजी निवेश को उदार बनाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का परिचय दे। अमेरिका के अतिरिक्त वाणिज्यमंत्री पेनी परीजकर ने एक समाचार पत्र में एक लेख में यह सलाह दी है। अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) द्वारा व्यापार सुधार समझौते को स्वीकार किये जाने की अंतिम तिथि 31 जुलाई है। भारत ने इस समझौते को सब्सिडी तथा खाद्यान्न भंडारण की सीमा के सवाल को लेकर रोक रखा है।श्री केरी का कहना है कि अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार सुधार से भारत को लाभ होगा और वह इससे अपना व्यापार बढा सकेगा।     जबकि भारत का कहना है कि उसे अंतर्राष्ट्रीय आलोचना की परवाह नहीं हैं। वह .सबसे पहले भारत.. के सवाल पर कायम रहेगा। उसने विश्व के एक चौथाई गरीबों का पेट भरने को प्राथमिकता देता है। उसका कहना है कि सबि्सडी को बढा.चढा कर बताया जा रहा है। वह यह भी चाहता है कि मुद्रास्फीति का समन्वय भी इस समझौते में डाला जाये।     इससे स्पष्ट है कि श्री कैरी भारतीय नेताों से व्यापार के विषय पर व्यापार.बौद्धिक सम्पदा अधिकार तथा जलवायु परिवर्तन जैसे विषयों पर बात करने वाले हैं। लेकिन भारत ने डब्ल्यूटीों को लेकर अपने रूख के बारे में पत्ते नहीं खोले हैं। इस संबंध में सरकार का रूख पूछे जाने पर श्री अकबरूद्दीन ने यह कहते हुए इसका कोई जवाब नहीं दिया कि यह विषय वाणिज्य मंत्रालय का है। वही इस पर कुछ कह सकता है।

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