वाशिंगटन/नई दिल्ली ! कभी नरेंद्र मोदी को वीजा तक देने से इनकार करने वाले अमरीका को अब मोदी सरकार का हर निर्णय अच्छा लगने लगा है। अमरीका ने नरेंद्र मोदी के नारे सबका साथ सबका विकास की सराहना करते हुए इसे व्यापक दृष्टिकोण करार दिया है और कहा है कि ओबामा प्रशासन इसी विचार के साथ मोदी सरकार से मिलेगा जिससे दोनो देश 21वीं सदी में अनिवार्य रूप से एक दूसरे के भागीदार बन सके। बुधवार को भारत दौरे पर आ रहे अमरीकी विदेश मंत्री जॉन केरी के एक समारोह के दौरान कहा, भारत और अमरीका के 21वीं सदी में अभिन्न साझेदार बनने की संभावना है। उन्होंने कहा, भारत की नई सरकार की योजना सबका साथ सबका विकास है। यह वह दृष्टिकोण है जिसका हम सहयोग करना चाहते हैं। हम मानते हैं कि यह व्यापक दृष्टि है।केरी ने कहा, भारत क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के स्तर पर बड़ी भूमिका निभा रहा है और वैश्विक स्तर पर उसकी भूमिका बढ़ रही है। इसलिए अमरका के यह हित में हैं कि भारत के साथ मजबूत संबंध स्थापित किए जाए। आतंकवाद को दोनों देशों के लिए चुनौती बताते हुए केरी ने कहा, मुंबई हमले के बाद दोनों देशों के बीच इस क्षेत्र सहयोग बढा है। उन्होंने कहा, मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि यह वह रास्ता है जिससे हम मोदी सरकार से मिलेंगे। वह वक्त आ गया है जब नई सरकार के साथ नई संभावनाओं और नए अवसरों के साथ बातचीत शुरू की जानी चाहिए। दोनों देशों के संबंध केवल एक दूसरे के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि विश्व के लिए भी महत्वपूर्ण है। दोनों देशों के बीच शैक्षिक संबंध बढाने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों में युवाओं के लिए अवसरों में इजाफा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अमेरिका का निजी क्षेत्र बेहद उत्सुकता के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था की फिर से विकास दर तेज होने का इंतजार कर रहा है। अमेरिकी कंपनियां उन क्षेत्रों में निवेश करने को तैयार है जिनमें भारत विकास करना चाहता है। इनमें विनिर्माण, आधारभूत ढांचा, स्वास्थ्य और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्र शामिल हैं। श्री केरी ने कहा कि भारत में बेंगलूर और मुंबई तथा अमेरिका में सिलीकान वैली और बोस्टन की उद्यमशीलता हैं जो एक साथ मिलकर विश्व की चुनौतियों को सामना कर सकती है। उन्होंने कहा कि श्री मोदी की सितंबर में अमेरिका यात्रा रणनीतिक भागीदारी को ऐतिहासिक भागीदारी में बदलने का एक अवसर होगी और इसके लिए कोई कसर नहीं छोडी जाएगी। पहले नहीं दिया था वीजाअमरीका ने 2005 को नरेंद्र मोदी के वीजा आवेदन को गुजरात दंगों के कारण खारिज कर दिया था। गुजरात में 2002 में हुए सांप्रदायिक दंगों में अमरीका तत्कालीन गुजरात सरकार की भूमिका भी मानता था। इसके बाद से मोदी ने अमरीका के लिए वीजा आवेदन नहीं किया था। लेकिन अब मोदी के भारत के प्रधानमंत्री बनने के बाद अमरीका मोदी से रिश्ते सुधारने में जुट गया है।अमरीका के लिए महत्वपूर्ण है भारतदक्षिण एशिया में अमरीका के लिए भारत काफी महत्वपूर्ण सहयोगी बनकर उभरा है। चीन से मिलने वाली चुनौतियों को देखते हुए भी अमरीका भारत के साथ रिश्ते मजबूत करना चाहता था, साथ ही साथ भारत का तेजी से बढ़ता बाजार और मजबूत होती अर्थव्यवस्था भी अमरीका को आकर्षित कर रही है। अगले कुछ वर्षों में भारत रक्षा क्षेत्र में भारी खरीददारी करने की मंशा जाहिर कर चुका है ऐसे में अमरीका की नजर इन रक्षा सौदों पर भी टिकी है।वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारतीय अर्थव्यवस्था अपनी तरह की अकेली अर्थव्यवस्था हैं और अमरीका के साथ उसके कई मुददों पर मतभेद हैं लेकिन फिर भी दोनों पक्षों के लिए एक दूसरे के लिए अनूठी संभावनाएं हैं।जॉन केरी, विदेश मंत्री अमरीका